महिला अधिकारियों की अनदेखी सरकार को भारी न पड़ जाए

Ignoring women should not overwhelm government

Ignoring women should not overwhelm government

देहरादून। Ignoring women should not overwhelm government उत्तराखंड पुलिस में हाल ही में हुए आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर का अगर गहराई से विश्लेषण करें तो देखेंगे कि चमोली की नवनियुक्त एसपी श्वेता चौबे के अलावा किसी भी महिला अधिकारी को फील्ड में जगह नहीं मिल पाई है जबकि अब तक एसएसपी टेहरी तृप्ति भट्ट, एसएसपी पौड़ी रेणुका देवी और एसएसपी नैनीताल प्रीति प्रियदर्शिनी मजबूती से महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रही थी|

इतना ही नहीं राजधानी देहरादून में 1982 के बाद सबसे लंबा सफलतापूर्वक टेन्योर पूरा करने वाली तेज़तर्रार और ईमानदार छवि की कप्तान निवेदिता कुकरेती भी लंबे समय से साइड पोस्टिंग काट रही हैं, साथ ही ADC गवर्नर रचिता जुयाल को भी अबतक जनपद में कम ही मौका मिल पाया है।

ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या चुनाव के समय महिला अधिकारियों पर भरोसा नहीं जताया गया वो भी तब जब तीन (निवेदिता कुकरेती, तृप्ति भट्ट, रचिता जुयाल) तो उत्तराखंड की ही बेटी हैं। मातृ शक्ति के अथक प्रयासों से बने इस प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले हुए इस फेरबदल में महिला अधिकारियों की एक प्रकार से जो अनदेखी की गई है वो कंही सरकार पर भारी न पड़ जाय और प्रदेश की महिला शक्ति इसे अपने सम्मान से न जोड़ ले!

वंही लिस्ट में निवेदिता कुकरेती और पी रेणुका देवी को जिस तरह से एसपी के पद पर बैठाया गया है उसको लेकर भी महकमें में तरह-तरह की चर्चाएं हैं क्योंकि दोनों महिला अधिकारी काफी वरिष्ठ हैं, कॉलर बैंड पहनती हैं और एक जनवरी को DIG के पद पर प्रमोशन पाने की अहर्ता पूरी कर लेंगी।

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