नई दिल्ली । पाकिस्तान के साथ ही भारत अब चीन को घेरने की तैयारी भी कर रहा है। चीन के अड़ियल रवैये की वजह से भारत को एनएसजी की सदस्यता नहीं हासिल हो सकी। इसका जवाब देने के लिए भारत इस मुद्दे पर चीन के साथ आक्रामक रुख अपना सकता है। जापान दौरे पर जा रहे पीएम मोदी की यात्रा के दौरान भारत और जापान साझा रूप से बयान जारी कर दुनिया को बताएंगे कि दक्षिण चीन सागर पर चीन किस तरह दूसरे देशों की अनदेखी कर रहा है। चीन द्वारा आतंकी मसूद अजहर और एनएसजी पर अड़ंगा लगाने के बाद भारतीय रणनीतिकारों का मानना है कि इस मुद्दे पर अब चीन को उसकी भाषा में जवाब देने की जरूरत है। दक्षिण चीन सागर पर सिंगापुर ने भले ही भारत के साथ साझा बयान जारी करने से इनकार कर दिया। लेकिन जापान ने कहा है कि भारत को दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर अपने हिसाब से सोचना चाहिए। भारत और जापान ने पिछले साल पहली बार साझा वक्तव्य में दक्षिण चीन सागर का जिक्र किया था। लेकिन अब पहली बार खुले तौर पर ये कहेंगे कि दक्षिण चीन सागर पर चीन न केवल अंतरराष्ट्रीय पंचाट के पफैसले की अवहेलना कर रहा है बल्कि क्षेत्रीय स्थायित्व के लिए खतरा बन रहा है।
सिंगापुर के पीएम के भारत दौरे के समय भारत ने ये प्रस्ताव रखा कि दक्षिण चीन सागर पर दोनों देश एक साझा वक्तव्य जारी करें। लेकिन सिंगापुर ने अपने पक्ष में कहा कि वो किसी भी तरह से दक्षिण चीन सागर से जुड़ा हुआ नहीं है लिहाजा वो वक्तव्य नहीं जारी करेगा। लेकिन दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय पंचाट के पफैसले को भारत ने वियतनाम, ब्रुनेई, मलेशिया और फिलीपींस को ये बताने की कोशिश करेगा कि किस तरह उन देशों पर चीन अपना आधिपत्य जमाने की कोशिश कर रहा है। चीन ने अंतरराष्ट्रीय पंचाट के फैसले को मानने से इनकार कर दिया था।जानकारों का कहना हैे कि भारत और जापान में सिविल न्यूक्लियर डील के साथ-साथ मिलिट्री एयरक्राॅफ्ट शिनमायवा-2 की खरीद पर भी सहमति बन सकती है। जापान इस मिलिट्री एयरक्राॅफ्ट की कीमतों में कमी करने का भी फैसला कर सकता है। बताया जा रहा है कि जापान और भारत के बीच इस डील की वजह से चीन में बौखलाहट हो सकती है। चीन ये भी कह सकता है कि दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर भारत बेजा दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
पिछले सितंबर में पीएम की हनोई यात्रा के दौरान भारत ने वियतनाम के साथ ये साझा वक्तव्य जारी करना किया था। जिसमें दक्षिण चीन सागर के ऊपर चीनी विमानों के उड़ान के अलावा ये जिक्र था कि कैसे अंतरराष्ट्रीय पंचाट के पफैसले को मानने से चीन ने इनकार कर दिया।