नई दिल्ली। फिल्म निर्माता और निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म प्रावती को लेकर चल रहे विवाद के बाद छिड़ी बहस के बीच भारतीय शिक्षण मंडल के आयोजक सचिव मुकुल कानितकर ने कहा है कि बॉलीवुड में भारतीय इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में स्थित किरोड़ीमल कॉलेज में ग्रुप ऑफ इंटलेक्चुअल्स एंड एकेडिमिशियंस द्वारा पाठयक्रमों और फिल्मों में इतिहास को गलत ढंग से रखने विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुकुल ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि वामपंथी इतिहासकारों द्वारा भारतीय इतिहास को गलत ढंग से लिखे जाने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। असल में यह बौद्धिकता की लड़ाई है लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि बौद्धिकता कैसी। उन्होंने कहा कि हाल ही में आई फिल्म दंगल में भी फोगट बहनों की कहानी में कई मुख्य बातों को नहीं दिखाया गया है जैसे वो हनुमान की परम भक्त हैं आदि। मुकुल कानितकर ने कहा कि हमें ऐसे लोगों के खिलाफ बौद्धिकता के स्तर पर लडाई जारी रखनी होगी तभी जाकर ऐसे देश विरोधियों का अस्तित्व खत्म हो पाएगा। वो एजेंडा के आधार पर राष्ट्र की भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं। ऐसा इसलिए कि वामपंथ एक विलुप्त होती प्रजाति है और जब किसी का अस्तित्व समाप्ति की ओर होता है तो वो ऐसे ही उलजलूल कार्य करता है।
स्वामी विवेकानंद केंद्र की अल्कागौरी जोशी ने कहा कि जब हमें अपने पूर्वजों पर श्रद्धा नहीं है तो आखिर कैसे अपने आप पर हमें गर्व होगा। ऐसा स्वामी विवेकानंद कहा करते थे और आज हमारी युवाओं के साथ भी ऐसा है। शहीद राजगुरु कॉलेज की प्रधानाचार्या पायल मागो ने कहा कि अंग्रेज और वामपंथी इतिहासकारों द्वारा भारत के इतिहास में ऐसेऐसे तथ्य शामिल किए गए ताकि वो भारत के हिन्दू समाज को बौद्धिकता के स्तर पर पंगु बनाया जाए। ग्रुप ऑफ इंटलेक्चुअल्स एंड एकेडिमिशियंस की संयोजिका मोनिका अरोरा ने कहा कि हमारा इतिहास कुछ चतुर इतिहासकारों ने लिखा है। असल में यह बौद्धिक आतंकवाद है जिसका सामना आज हम सभी भारतवासी कर रहे हैं।