भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत कुम्भ मेला : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

Intangible Cultural Heritage Kumbh Mela

Intangible Cultural Heritage Kumbh Mela

ऋषिकेश। Intangible Cultural Heritage Kumbh Mela माँ गंगा के पावन तट हरिद्धार में 14 जनवरी से अप्रैल 2021 तक इस वर्ष पवित्र कुम्भ मेला, फिजिकल डिसटेंसिंग और हेल्थ प्रोटोकाॅल के साथ आयोजित हो रहा है। कुंभ मेले के दौरान पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए लाखो श्रद्धालु एकत्र होंगे।

ऐसे में विशेष रूप से फिजिकल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाना और साबुन व पानी के साथ थोड़ी-थोड़ी देर बाद हाथ धोना आदि बातों का ध्यान रखना होगा। कोशिश करें कि इस बार कुम्भ मेले में बड़े बुजुर्ग और छोटे बच्चों को लेकर न आयें क्योंकि कोविड-19 महामारी के समय में उनके लिये भीड़-भाड वाले स्थानों पर जाना सुरक्षित नहीं है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि कुम्भ जैसे दिव्य आयोजन, आध्यात्मिकता, पवित्रता, दिव्यता और सर्वे भवन्तु सुखिनः के उद्देश से किये जाते हैं चूंकि इस समय चारो ओर कोरोना वायरस का प्रकोप है ऐसे में हेल्थ प्रोटोकॉल और कोविड मानकों का पालन करना जरूरी है।

कुंभ मेला-2021 को दिव्य, पवित्र, ग्रीन, ईको-फ्रेंडली, यादगार और अनूठा बनाने के लिए सभी का समेकित प्रयास नितांत आवश्यक है। स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड हमेशा से ही ग्रीन हैरिटेज और ईको-फ्रेंडली आयोजनो को प्राथमिकता देता आया है ऐसे में सभी को गंगा जी की शुद्धता और उत्तराखंड की पवित्रता को ध्यान में रखते हुये कुम्भ मेले में सहभाग करना होगा।

कुम्भ विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला : Swami Chidanand Saraswati

उन्होंने कहा कि कुम्भ, भारत की आध्यात्मिक और सनातन परम्परा है। कुम्भ विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला है, जो सदियों से चला आ रहा है। कुम्भ ने पूरे विश्व को विश्व बन्धुत्व का संदेश दियाय हमें अपनी जड़ों से जुड़ने काय भारतीय संस्कृति को जानने और जीने का तथा अपनी गौरवशाली आध्यात्मिक परम्परा एवं गौरवमयी संस्कृति को आत्मसात करने का अवसर प्रदान किया है।

स्वामी ने कहा कि कुम्भ में पूज्य संतों का समागम होता है। संतों के संग से सत्संग का मार्ग अग्रसर होता है जिससे योग और ध्यान के पथ पर बढ़ा जा सकता है। कुम्भ हमें सिखाता है कि हम आस्था में जियें’’, केवल व्यस्तता में नहीं बल्कि व्यवस्था में जियें, जीवन में एक मर्यादा हो, एक दिशा हो ’’हमारे चिंतन में सकारात्मकता हो, हमारे कर्म में सृजनशीलता हो, वाणी में माधुर्य हो, हृदय में करूणा हो और हमारा जीवन प्रभु के चरणों में समर्पित हो यही तो कुम्भ है।

कुम्भ पर भीतरी कुम्भ का दर्शन हो सके, यही तो कुम्भ का वास्तविक दर्शन है। कुम्भ मेले में सहभाग करने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिये एक संदेश है कि वे ’’आत्मवत् सर्वभूतेषु’’ सभी में अपना दर्शन करें तो निश्चित हम सब मिलकर कुम्भ को यादगार बना सकते हैं।

जरा इसे भी पढ़े

सीएम ने किया कोविड-19 टीकाकरण अभियान का शुभारम्भ
सतपाल महाराज ने पिथौरागढ़ को दी 799.31 लाख रु की सिंचाई योजनाओं की सौगात
मुख्यमंत्री ने की पेयजल टैरिफ पुनरीक्षण के लिए समिति गठित