Issue of nationalism
देहरादून। Issue of nationalism लोकसभा चुनावों में प्रदेश में कांग्रेस मोदी पर हमलावर है और भाजपा मोदी के चेहरे को आगे कर राज्य सरकार और सांसदों की 5 साल की परफोरमेंस से ध्यान हटा रही है। कांग्रेस इन चुनावों में केंद्र सरकार की नीतियों की विफलता को हथियार बना कर भाजपा पर वार कर रही है।
हर रैली में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साध रहे है। ऐसे में उनके टारगेट से पांचों सांसदों की परफॉर्मेंस मिस हो रही है। साथ ही भाजपा तो यह चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लड़ रही है। भाजपा की रणनीति साफ है, वह मोदी के नाम को इन चुनावों में फिर से भुना लेना चाहती है। 2014 के नतीजों को मोदी मैजिक के जरिये पाने की जुगत में है और उत्तराखण्ड की पांचों सीटें फिर झटक लेना चाहती है।
इसलिए बड़ी चतुराई से वह अपने मौजूदा पांच सांसदों की परफॉर्मेंस पर बात ही नहीं कर रही है। प्रदेश में भाजपा 2 साल से सरकार चला रही है लेकिन अपनी राज्य सरकार की उपलब्धियों का भी जिक्र भाजपा अपनी सभाओं में नहीं कर रही है। मुख्यमंत्री ने तो चुनावी अभियान का आगाज करते हुए साफ कर दिया था कि पार्टी का मुद्दा राष्ट्रवाद रहेगा और इससे भटकना नहीं है।
किसी भी सांसद की ऐसी कोई उपलब्धि नहीं
जमीनी हकीकत यही है कि पांच साल में राज्य के किसी भी सांसद की ऐसी कोई उपलब्धि नहीं है जिसके आधार पर वह जीत का दावा करें। कम-ज्यादा एंटी इनकमबेंसी फैक्टर का असर होना भी लाजमी दिखता है। ऐसे में मोदी के नाम की आड़ लेना बीजेपी के लिए तो मुफीद है शायद कांग्रेस के लिए नहीं।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और टिहरी से सांसद पद प्रत्याशी प्रीतम सिंह कहते हैं कि अगर बीजेपी को मोदी के नाम पर चुनाव लड़ना है तो लोकसभा की 543 सीटों पर उन्हें ही टिकट दे दे। जो लोग जिस क्षेत्र से सांसद बने हैं उनकी भी तो थोड़ी जवाबदेही बनती है। वह केंद्रीय नेतृत्व से आए स्लोगनों और प्रचार की लाइन को ही फॉलो करते हैं और केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हैं।