धोखा शायरी : जिंदगी भर रहे दूर जो गैरो की तरह

jindagi

जिंदगी भर रहे दूर जो गैरो की तरह
लाश पर आज वही अश्क बहाने आये हैं,
ऐसे आलम में भी वह रूठके जाते हैं शमीम,
दम-ए-आखिर को जो आये तो रूलाने आये।।


खून-ए-दिल से गुल बनाना तो बड़ा असान है
उसमें जो खुशबू बसी है उस को भी तस्वीर कर।


राह-ए-वफा में सजाओं को कौन देखेगा
सफर है धूपका छाओं को कौन देखागा,
हम अपनी जिद पे आये तो छीन लेंगे तूझे
तेरे शहर की घटाओं को कौन देखेगा,
जुदा तो हो जायें मगर फिर ख्याल आता है
तेरी इन मदहोस अदाओं को कौन देखेगा।।

बेवफाई की ये शायरी आपके दिल को झकझोर देगी

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