Kathak dancers Garima Arya and Shahid Niazi
देहरादून। Kathak dancers Garima Arya and Shahid Niazi देहरादून में आयोजित किए जा रहे विरासत में शाम 7 बजे कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर कत्थक डांसर गरिमा आर्य ने अपनी कत्थक की शैली से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
बचपन से ही कत्थक में दिलचस्पी रखने वाली गरिमा जी कहती हैं कि वो खुशनसीब है की उहने अपने गुरु एवं पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित श्री बिरजू महाराज से सीखने का मौका मिला।
डॉक्टर परिवार से संबंध रखने वाली गरिमा आर्य ने अपने बचपन की शिक्षा हरिद्वार से ग्रहण कि बाद में उन्होंने दिल्ली जाकर अपनी शिक्षा एवं कत्थक की तालीम ली। शाम 8 बजे कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मशहूर कव्वाल शाहिद नियाजी एवं समी नियाजी जी ने स्टेज पे अपनी छाप बिखेरी।
शाहिद नियाजी का जन्म भारत के रामपुर (यू.पी.) जिले के कव्वाली के रामपुर घराना के एक प्रसिद्ध संगीत परिवार में हुआ था। जो 300 वर्षों से कव्वाली के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।
उनके पिता स्वर्गीय उस्ताद गुलाम आबिद नियाजी, जो खुद एक बहुत ही प्रसिद्ध कव्वाली गायक थे और अपने समाज में एक बहुत ही प्रतिष्ठित कलाकार थे और आज भी उन्हें उसी सम्मान और सम्मान के साथ याद किया जाता है| साथ ही वे कोर्ट म्यूजिशियन (कोर्ट) में से एक थे नवाब रामपुर)।
अपने पिता के बहुत उज्ज्वल शिष्य बन गए
शाहिद नियाजी बचपन से ही कव्वाली शैली के लिए बहुत सचेत थे इसलिए उन्होंने बहुत ही कम उम्र से संगीत सीखना शुरू कर दिया और जल्द ही वह अपने पिता के बहुत उज्ज्वल शिष्य बन गए।
श्री शाहिद का समर्पण और कड़ी मेहनत उन्हें सफलता की ओर ले गई और वे अपने प्रशंसकों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए और ए.आई.आर. (ऑल इंडिया रेडियो), प्.ब्.ब्.त् (इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चरलरिलेशन्स) और कई अन्य, साथ ही साथ उन्हें पुरस्कृत किया गया है।
इसके अलावा उन्होंने पूरे भारत और दुनिया में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किया है जिसमें दक्षिण अफ्रीका, दुबई, कोलंबो, मॉरीशस आदि शामिल हैं। लगभग हर सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम में।
श्री शाहिद के अच्छे गुणों में से एक यह है कि वे खुद एक बहुत अच्छे कवि, संगीत संगीतकार और वास्तव में एक उत्कृष्ट गायक होने के साथ-साथ विभिन्न भाषाओं जैसे हिंदी, उर्दू, फारसी, अरबी, पूर्वा, पंजाबी आदि में भी गाते हैं।
उन्होंने डीडी पर शबनमनामक टीवी श्रृंखला के लिए एक गीत भी किया है। शाहिद एक अतिरिक्त ओडिनरी प्रतिभा को एक बहुमुखी गायन जैसे कि कव्वाली, नात, गजल, भजन, गीत, लोक आदि में प्रदर्शित करते हैं।
वह अपने गायन के माध्यम से भाईचारे और शांति का संदेश देना कभी नहीं भूलते। उन्हें विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक संगठनों से कई पुरस्कार भी मिले हैं जैसे कि राजीव गांधी ग्लोबलअवार्ड, संस्कृति सम्मान 2015 आदि।
बाबा साहेब की सभी प्रार्थनाओं का जवाब दिया
नसीर मियाँ नियाजी उर्फ बाबा साहेब जो खानकाह-ए-नियाजिया, बरेली में रहते हैं, जिन्होंने उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें सही रास्ते की ओर निर्देशित किया।
ऐसा माना जाता है कि सर्वशक्तिमान अल्लाह ने श्री शाहिद के पक्ष में बाबा साहेब की सभी प्रार्थनाओं का जवाब दिया। इसलिए उनकी प्रतिभा सफलता के उत्कृष्ट स्तर तक पहुंची।
नियाजी साहब के साथ स्टेज पर उनका साथ दिया उनके भांजे समीनियाजी ने। रामपुर में जन्मे समीनियाजी जी बताते हैं कि बचपन से ही अपने पिता से काफी प्रेरित रहे हैं जो कि खुद एक बेहतरीन , तबला वादक , ढोलक वादक एवं गायक हैं।
बचपन से ही संगीत घराने में जन्म लेने के कारण नियाजी जी को परिवार से ही बोहोत कुछ सीखने को मिला। बाद में वे अपने मामा जी शाहिदनियाजी जी के साथ पूर्ण रूप से जुड़ गए और उन्ही से सीखते गए। नियाजी जी को सन 2012 में साउथ अफ्रीका में बज्म-ए-चिस्तिया सम्मान से भी सम्मानित किया गया है।
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