मदद को तकती बूढ़ी आंखों को ‘खाकी का साथ’

'Khaki ka Saath' to the old eyes waiting for help

‘Khaki ka Saath’ to the old eyes waiting for help

शादाब अली

इंसानियत की ‘सूरत’ क्या होती है यह सवाल क्या करता है तू बंदे,
खाकी के रंग से पूछ जिसने दुश्मन के सामने गर्दन नही झुकाई, उसने सहारे को अपने कन्धे झुका लिए।।

देहरादून| ‘Khaki ka Saath’ to the old eyes waiting for help इस तस्वीर को देख हमारे उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशक अशोक कुमार जी की ‘खाकी में इंसान’ के उस इंसान की तस्वीर आज स्वतः ही चित्रित हो गयी जब उधमसिंह नगर जनपद के रुद्रपुर के क्षेत्राधिकारी(शहर) के दफ्तर अपनी फरियाद लेकर पहुंची एक वृद्धा कड़कती धूप व थकान के चलते पेड़ के नीचे छाया में बैठ गयी|

उस वक़्त अपने दफ्तर में मौजूद क्षेत्राधिकारी(शहर) अभय प्रताप सिंह ने इन वृद्धा को देखा तो वह स्वयं उस वृद्धा के पास चलकर गए व स्वयं उनके सामने बैठ उनकी समस्या सुन उसका हल निकाल दिया।

यह तस्वीर वाकई हर लिहाज में खूबसूरत है ,जहां एक खाकी अधिकारी स्वयं टाइफाइड से पीड़ित होने के बावजूद कर्म पथ पर हर दिन कार्यालय आ रहे है|

वहीं अधिकारी होने के बावजूद उन्होंने स्वयं उस वृद्धा की सहायता को उस तक पहुंच उत्तराखंड पुलिस के ‘मित्रता, सेवा व सुरक्षा’ के तीनों भावों को सार्थक कर दिया।

जो कहता है हर नागरिक के लिए खाकी ऐसी हो कि उसकी मित्र हो,सेवा का भाव ऐसा हो कि फरियादी खुद आने में असमर्थ हो तो खाकी स्वयं उस तक हो,और सुरक्षा का भाव ऐसा हो कि हर मुसीबत में खाकी का उसको सहारा हो।।

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