कोहिमा । नगालैंड में एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत सांसद व दो बार के नगालैंड के मुख्यमंत्री रह चुके नेफ्यू रियो के फिर से मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। रविवार की शाम को राजधानी कोहिमा में सत्ताधारी पार्टी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के बागी विधायकों की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में नेफ्यू रियो के नाम का विधायकों द्वारा औपचारिक रूप से ऐलान किया जाएगा। वर्तमान मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग के कामकाज से पार्टी के अधिकांश विधायक बेहद नाराज हैं।
रियो को कुछ माह पहले एनपीएफ से पार्टी अध्यक्ष सुरहोजेले ने बाहर का रास्त दिखा दिया था। राजनीति के माहिर खिलाड़ी रियो समय का इंतजार करते रहे, जैसे ही हवा का रूख पलटा तो उन्होंने सत्ता की पूरी बाजी ही पलट दी। नगालैंड में होने वाले निकाय चुनावों में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण देने के विरोध में आरंभ हुए राज्यव्यापी आंदोलन, हिंसा और आंदोलनकारियों द्वारा मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग के इस्तफे की मांग पर विभिन्न संगठनों के अड़ जाने के बाद गत 16 फरवरी को सत्ताधारी पार्टी के 48 में से 40 विधायकों ने खुले रूप में बगावत का बिगुल फूंक दिया। इस कड़ी में बीते कल शनिवार की असम के काजीरंगा स्थित राष्ट्रीय अभयारण्य के एक रिसोर्ट में नगालैंड के बागी विधायकों की एक बैठक हुई।
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद नेफ्यू रियो भी मौजूद थे। नगालैंड के 60 सदस्यीय विधायकों में से 49 विधायक बैठक में हिस्सा लया। पूरे दिनभर चली बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए। बैठक में सर्वसम्मति से रियो को राज्य का अगला मुख्यमंत्री चुना गया। रात 9.30 बजे औपचारिक रूप से इसकी घोषणा भी की गई। रियो विधायकों के साथ रविवार की शाम को मुख्यमंत्री जेलियांग के साथ मुलाकात करने वाले हैं। माना जा रहा है कि इसके बाद जेलियांग मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे। वहीं नगालैंड के राज्यपाल पीबी आचार्य ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात कर राज्य के ताजा हालात की जानकारी से अवगत कराया। वर्तमान में राज्य के बदले ताजा हालात के मद्देनजर जेलियांग रियो की शरण में है।
माना जा रहा है कि दोनों के बीच आपसी समझौता हो गया है। समझौते के अनुसार जेलियांग जहां सांसद बनकर दिल्ली जाएंगे जबकि राज्य की सत्ता रियो के हाथ में होगी। ऐसे में एनपीएफ के अध्यक्ष सुरहोजेले किसी भी कीमत पर पार्टी पर से अपनी पकड़ छोड़ने के लिए तैयार नजर नहीं आ रहे हैं, साथ ही वे रियो को मुख्यमंत्री बनता भी नहीं देखना चाहते हैं, ऐसे में रियो जो पहले से ही पार्टी से बाहर चल रहे हैं, वे बागी विधायकों के साथ मिलकर भाजपा में शामिल होकर सरकार का गठन कर सकते हैं। इसकी झलक गत कुछ दिनों से रियो की नई दिल्ली में बढ़ती सक्रियता से लगाया जा सकता है। सूत्रें ने दावा किया है कि 17 फरवरी की रात को नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव और अन्य भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ रियो की कई दौर की वार्ता हो चुकी है।
माना जा रहा है कि बहुत जल्दी राज्य की सत्ता फिर से रियो के हाथों में आ जाएगी। राजनीति के जानकारों के अनुसार इसके पीछे भाजपा देश से कांग्रेस के सपफाए के तौर पर देखा जा रहा है। नगालैंड की कहानी अरुणाचल प्रदेश में हाल के दिनों में हुए सत्ता परिवर्तन की तरह ही दिखाई दे रहा है। हालांकि यहां पर सत्ता पर काबिज व्यक्ति कोई विरोध करने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में सत्ता का परिवर्तन आसानी से होता दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग पहले ही इस्तीफा देने का ऐलान कर चुके हैं।