मंदिर समिति की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में

Madhmeshwar Dham
सवालों के घेरे में Madhmeshwar Dham मंदिर समिति की कार्यप्रणाली
सुरक्षा व्यवस्था में लगे कर्मियों की लापरवाही आई सामने

रुद्रप्रयाग। द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मध्यमेश्वर धाम की सुरक्षा में लगे सुरक्षा कर्मियों द्वारा मन्दिर समिति को सौंपी गई रिर्पोट में शीतकाल में किसी भी तीर्थयात्री के Madhmeshwar Dham जाने का खुलासा न होने से सुरक्षा व्यवस्था में लगे मन्दिर समिति के सुरक्षा कर्मियों एवं मदिर समिति की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे मे आ गई है।

Madhmeshwar Dham के कपाट बन्द होने के बाद धाम में आवाजाही करने वालो की सूची मंदिर समिति के सुरक्षा कर्मियों की रिपोर्ट से कहां गायब हो गई, यह बात किसी गले नहीं उतर रही है। आने वाले समय में यदि मद्महेश्वर धाम की सुरक्षा व्यवस्था में लगे मन्दिर समिति के सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही इसी प्रकार रही तो धाम में बड़ी चूक हो सकती है।




विदित हो कि 22 नम्बर 2017 को मध्यमेश्वर धाम के कपाट बंद होने से लेकर वर्तमान समय तक तहसील प्रशासन की अनुमति के बिना मदमहेश्वर धाम में 682 देशी एवं स्थानीय लोग आवाजाही कर चुके हैं। कपाट बंद होने के बाद यात्रियों की धाम में आवाजाही करने का मकसद क्या है, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। कपाट बंद होने के बाद मदमहेश्वर धाम में आवाजाही करने वालों की सूची स्थानीय खुफिया एजेन्सियां, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग एवं मंदिर समिति के रिकार्ड में क्यों नही दर्ज हो पाई यह तीनों विभागों की बडी लापरवाही उजागर करती है।

पड़ावों पर चार सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया

मध्यमेश्वर धाम की सुरक्षा व्यवस्थाओं में मंदिर समिति की ओर से पड़ावों पर चार सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है। सुरक्षा कर्मियों द्वारा दस अप्रैल को मंदिर समिति को सौंपी गई रिपोर्ट में शीतकाल में मध्यमेश्वर धाम में आवाजाही करने वाले देशी व स्थानीय लोगों का किसी भी प्रकार जिक्र न होने से मन्दिर समिति के सुरक्षा कर्मियों की बडी लापरवाही उजागर करती है।




आने वाले समय में भी यदि मंदिर समिति के सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही इसी प्रकार रही तो मदमहेश्वर धाम की सुरक्षा व्यवस्था में भारी चूक हो सकती है। वही दूसरी ओर केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी शिवलाल आर्य का कहना कि प्रभाग द्वारा मद्महेश्वर यात्रा पड़ाव के खटारा में तीन वन रक्षकों को तैनात किया गया है, मगर तुंगनाथ धाम की तर्ज पर मदमहेश्वर धाम जाने सैलानियों पर प्रवेश शुल्क काटने का हमें कोई अधिकार नही है। इसलिए शीतकाल में मदमहेश्वर धाम जाने वाले सैलानियों का रिकार्ड विभाग के पास नहीं है।

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यदि प्रदेश सरकार शासनादेश जारी कर तुंगनाथ धाम की तर्ज पर मदमहेश्वर धाम जाने वालो से भी प्रवेश शुल्क लेने की अनुमति देती है, तो वन विभाग का राजस्व भी बढेगा और शीतकाल में मदमहेश्वर धाम जाने वाले सैलानियों का रिकार्ड भी रहेगा।