इल्म का चिराग रोशन करने वाले मौलाना अल्ताफ नही रहे

Maulana Altaf Mazahiri passed away


Maulana Altaf Mazahiri passed away

जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रदेश महासचिव के निधन से शोक की लहर
शिक्षा व समाज सुधार में गुजारे 40 साल
उत्तराखण्ड में जमीयत व तहफ्फुज खतमे नबुव्वत का झंडा किया बुलंद

देहरादून। Maulana Altaf Mazahiri passed away जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रदेश महासचिव व मदरसा इजहारूल उलूम मोरोंवाला के प्रबंधक मौलाना अल्ताफ मजाहिरी का 63 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। मौलाना ने देर रात दून मेडिकल काॅलेज में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली।

कोरोना के लक्षण के चलते मौलाना को दून अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शनिवार सुबह कोविड-19 के नियमों के तहत मोरोंवाला में आप को सुपुद्र-ए-खाक कर दिया गया।

मौलाना मजाहिरी के इंतकाल से समूचे उत्तराखंड व पश्चिमी यूपी के कई जिलों के लोगों में शोक की लहर दौड गई। मौलाना के निधन पर उलेमाओं, समाज सेवियों व राजनेताओं ने गहरा दूख व्यक्त किया है।

मौलाना अल्ताफ ने अपनी 63 साल की जिंदगी में पूरे उत्तराखंड व पश्चिमी यूपी के कई जिलों में धार्मिक व आधुनिक शिक्षा, आपसी सौहार्द एवं समाजसेवा के क्षेत्र में नायाब काम किये है, उनका यूं चले जाना समाज के लिए एक बड़ी क्षति है।

उत्तराखण्ड गठन के बाद प्रदेश में जमीयत व तहफ्फुज खतमे नबुव्वत का झंडा किया बुलंद करने के लिये मौलाना ने अपनी सारी जिंदगी वक्फ कर दी।

मदरसा इस्लामिया इजहार उल उलूम में आप ने 1980 से 1993 तक शिक्षक के रूप में खिदमत की, आप की मेहनत और सेवाभाव को देखते हुए 1993 में आप को इजहार उल उलूम का प्रबंधक बनाया गया, आप आखरी सांस तक इस पद पर अपनी खिदमात अंजाम देते रहे।

हजारों बच्चों ने शिक्षा प्राप्त की

मौलाना की देख-रेख में हजारों बच्चों ने यहा से शिक्षा प्राप्त की। यही नही मौलाना ने 20 साल गावं की मस्जिद में बिना पैसों के इमामत भी कराई। मौलाना ने जमीयत के जिला सदर व प्रदेश महासचिव का दायित्व संभाला, तहफ्फुज खत्म नबुव्वत के सूबाई सदर भी रहे|

वही मदरसा नासिरुल उलूम पांड़ोली, मदरसा अहयाउल उलूम, जमालुल कुरआन देहरादून व दारुल उलूम जामिया पफेज ए सत्तरिया के संरक्षक भी रहे।

मौलाना काशिफ उल उलूम छुटमलपुर, मरकज खिदमत खल्क व दारुल कजा देहरादून के भी सदस्य थे। मौलाना के निध्न पर शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी ने कहा कि उन्होंने अपना एक बेहतरीन साथी खो दिया है। जो हर मसले को बड़े प्यार से हल करने का माद्दा रखते थे।

देहात काजी मौलाना रिसालुद्दीन हक्कानी कहते है कि वह कई मदरसों के सरपरस्त थे और उनकी सरपरस्ती में तालीम का काम बहुत आगे बढ़ा। हर तरह की तालीम पर वह जोर देते थे।

समाजसेवा के क्षेत्र में वह गरीबों के लिए मसीहा की तरह थे। वह अपने पीछे तीन बेटे, एक बेटी, पत्नी समेत नाती पोतो का भरा पुरा परिवार छोड़ गये हैं। उनके एक बेटे हारून मदरसा बोर्ड व एक बेटे शमून वक्फ बोर्ड में कार्यरत है।

इंतकाल पर इन्होने जताया दुख

देहरादून। मौलाना अल्ताफ के इंतकाल से शोक की लहर है। उलमा, धर्मिक एवं सामाजिक संगठनों ने उनके इंतकाल पर दुख जताया है।

शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी, शहर मुफ्ती सलीम अहमद कासमी, जमीयत के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आरिफ कासमी, मुफ्ती रियासत कासमी, जमीयत के सचिव मौलाना मासूम कासमी, प्रधान अब्दुल रज्जाक, काशिफ उल उलूम छुटमलपुर के नाजिम मौलाना हाशिम व मौलाना आसिफ|

दारूल उलूम देवबंद के शोबा तहफ्फुज खत्म नबुव्वत के ऑल इंडिया नाइब सदर मौलाना शाह आलम कासमी, मदरसा एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना इफ्तेखार, सचिव मौहम्मद शाहनजर, देहात काजी मौलाना रिसालुद्दीन हक्कानी, मौलाना कासिम|

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स, मदरसा बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष गुलजार अहमद, प्रधान तासीन अहमद, अल्पसंख्यक आयोग सदस्य सीमा जावेद, पार्षद आफताब आलम, शिक्षाविद् डॅा. एस फारूख, हज कमेटी के अध्यक्ष शमीम आलम, मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष बिलालुररहमान|

पूर्व डिप्टी रजिस्ट्रार हाजी अखलाक, मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी, मास्टर मुस्तकीम हसन, अब्दुल सत्तार, जमीयत के महानगर अध्यक्ष मुफ्ती रईस अहमद, हाजी शेख इकबाल व अब्दूल रहमान, हाजी सलीम अहमद आदि ने दुख जताया है और मौलाना के जाने को समाज के लिए बड़ा नुकसान बताया है।

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