Maulana Muhammad Yameen Qasmi death
40 साल तक एक ही स्थान पर रह कर की सेवा
डोईवाला में किया गया सुपुर्द-ए-खाक
डोईवाला। Maulana Muhammad Yameen Qasmi death मदरसा इशात-उल-उलूम डोईवाला के संस्थापक हजरत मौलाना मुहम्मद यामीन कासमी का इंतकाल हो गया है। बीते गुरुवार को मौलाना इस दुनिया से रूख्सत हो गये। शुक्रवार बाद नमाज इशा मौलाना को डोईवाला में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
मदरसा इशात-उल-उलूम डोईवाला के प्रबंधक मौलाना अब्दुल कुद्दुस ने बताया की अल्हाज मौलाना मुहम्मद यामीन साहिब कासमी देहरादून जिले के एक प्राचीन और प्रसिद्ध विद्वान थे। उन्होने मदरसा इशात-उल-उलूम डोईवाला की स्थापना की और 40 सालों तक यही खिदमत अंजाम देते रहे। गुरुवार को देर शाम वह अपने असली मालिक से जा मिलें।
मौलाना यामीन हमेशा मदरसा इशात-उल-उलूम डोईवाला के निर्माण और विकास के लिए प्रयासरत रहे। वह छात्रों और शिक्षकों का बहुत ध्यान रखते थे, खासकर जंगलों में रहने वाले लोगों का। वह छात्रों को मदरसे तक लाने के लिए लंबी दूरी तक सफर भी तय करते थे। वे जंगलों में प्रचार करते थे और लोगों को सच्चे धर्म की ओर बुलाते थे।
भारत में रहने वाले कई घुमंतू गुर्जर बच्चों ने उनकी मदद से कुरान को याद किया। खुदा का शुक्र है कि यह सभी बच्चे धार्मिक सेवाओं में अपना योगदान दे रहे है। मौलाना के निधन से मदरसा इशात-उल-उलूम डोईवाला में पैदा हुई खाई को भरना बहुत मुश्किल है।
मदरसे के शिक्षकों के अलावा मदरसे के अध्यक्ष प्रधान अब्दुल रज्जाक, उपाध्यक्ष मास्टर मोहम्मद रिजवान, हाजी मुहर्रम अली, फुरकान अहमद कुरैशी, कारी आशिक इलाही, मुफ्ती मुहम्मद नाजिम नदवी, मौलाना मोइनुद्दीन, मास्टर अब्दुल लतीफ, हाजी मुहम्मद इकबाल, मुहम्मद अफजल, भाई शमीम, अब्दुल करीम, मौलाना अब्बास, मौलाना अब्दुल रब व हाफिज मौलाना मुहम्मद जाकिर आदि ने मौलाना के इंतकाल पर रंज का इजहार किया और अंतिम संस्कार में शिरकत की। मौलाना अपने पीछे पत्नी, दो बेटे और दो बेटियां छोड़ गये है।
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