एमडीडीए के अधिकारी उड़ा रहे नियमों की धज्जियां

MDDA officials are flouting the rules

देहरादून। MDDA officials are flouting the rules नागरिकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने और शहरों व कस्बों को सुनियोजित तरीके से विकसित करने के लिए राज्य सरकारों की ओर से विकास प्राधिकरण स्थापित किए जाते हैं। ताकि किसी भी शहर को योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया जा सके और शहर का सौंदर्य बरकरार रखते हुए आम जनमानस को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके। इसी क्रम में 1984 में देहरादून में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की स्थापना की गई। लेकिन क्या एमडीडीए अपना कार्य सही तरीके से कर पा रहा है यह बड़ सवाल है। 

यह मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के लिए काफी गंभीर व हास्यास्पद विषय है। क्योंकि इन अवैध प्लॉटिंग को रोकने व इन पर निगरानी रखने के लिए प्राधिकरण ने सेक्टरवार सुपरवाईजर, जेई व एई को नियुक्त किया है। इसके बावजूद जिस प्लॉटिंग को विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध मानते हुए वाद दायर कर दिया जाता है व ध्वस्तीकरण कर दिया जाता है, उसी अवैध प्लॉटिंग के भूखण्डों को बेच दिया जाता है और इन्हे पता भी नहीं चलता।

इसमें भी ज्यादा आश्चर्य वाली वाली बात यह है कि विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध प्लॉटिंग के बेचे गये भूखण्डों पर नियम के विरूध जाकर मानचित्र (नक्शा) भी स्वीकृत  कर दिया जाता है।

वहीं विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी से जब इस विषय में पूछा गया कि क्या जिस अवैध प्लॉटिंग का विकास प्राधिकरण में वाद चल रहा हो और उसके बावजूद भूखण्ड बेच दिया गया हो, उस पर मानचित्र (नक्शा) पास हो सकता है? तो उपाध्यक्ष ने इसके जवाब में कहा कि हां नक्शा पास किया जा सकता है इसमें कोई दिक्कत नहीं है। 

वहीं अगर हम मसूरी देहरादून विकास प्राधिकण की नियमावली की बात करे तो खुद विकास प्राधिकण द्वारा अभी कुछ समय पहले ही खुद उनके द्वारा ही जनहित में सार्वजनिक सूचना का बोर्ड लगाया गया था जिसमें बिंदू संख्या 2 में लिखा गया है कि अवैध प्लॉटिंगों पर क्रय किये गये भू-खण्ड पर एमडीडीए द्वारा मानचित स्वीकृत नहीं किया जाता है। 

MDDA officials are flouting the rules

साथ ही बिंदु संख्या चार में लिखा है कि प्राधिकरण से बिना स्वीकृत/अनुमति से की जा रही अवैध प्लाटिंग पर भूखंड कदापि क्रय न किया जाए। यदि सूचित होने के बावजूद भी भूखंड क्रय किया जाता है तथा एमडीडीए द्वारा भवन विधि के अनुसार प्रश्नगत अवैध प्लाटिंग के विरुद्ध सील अथवा ध्वस्तिकारण की कार्रवाई की जाती है तो इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी क्रेता की रहेगी। 

अब प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी खुद निर्णय करें कि आखिर उनकी कौन सी बात सही है, या वह परिस्थितियों के हिसाब से अपने आप खुद प्राधिकरण के नियम बना लेते हैं, या उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है। यह तो अभी सिर्फ एक प्रकरण हैं। ऐसे कई मामले हैं जिसमें नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती है।

आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने MDDA के खिलाफ किया प्रदर्शन
बेसमेंट पार्किंग के मानकों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के निर्देश
भ्रष्ट जेई को बचाने की कोशिश कर रहे एमडीडीए के अधिकारी