Mobile addiction is causing mental illness
देहरादून। Mobile addiction is causing mental illness मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चे, किशोर व युवा दिमाग से या तो अत्यधिक तेज़, क्रोधी और हिंसक बनते जा रहे हैं या फिर बिल्कुल सुस्त और मनोरोगी बन रहे हैं। बच्चों को सोते समय डरावने सपने आते हैं और सपने में रोने चिल्लाने लगते हैं। इस पर मनोवैज्ञानिक राहुल मिश्रा ने कहा कि ऐसे में उनकी काउंसलिंग बहुत जरूरी है। 3 से 10 साल आयु वर्ग मोबाइल में रील देखना पसंद कर रहे हैं। पहले बच्चों को खुश करने के लिए मोबाइल दिया जाता है।
जब बच्चे को लत लग जाती है उसके बाद मां-बाप परेशान होने लग जाते हैं। अब हो यह रहा है कि बच्चे बेरोकटोक लंबे वक्त तक नेट पर सर्च करते रहते हैं। इस दौरान रोकने टोकने पर पहले तो निराश और चुप्पी साध लेते हैं, कई बार हमला करने पर भी उतारू हो जाते हैं। मनोवैज्ञानिक राहुल बताते हैं कि बच्चों के मोबाइल देखने की लत का कारण उनके माता-पिता होते हैं। बच्चों का मन खाली सिलेट की तरह होता है जिस पर कोई इबारत लिखी जा सकती है।
बच्चे जितने भावुक होते हैं उतने ही नाजुक होते हैं उनके रिश्ते, बच्चों के मन पर सबसे ज्यादा प्रभाव उनके माता-पिता का पड़ता है। आजकल माता-पिता बच्चों को मोबाइल फोन देते हैं, ताकि खाना अच्छे से खा ले, लेकिन आप ऐसा ना करें कोशिश करें कि आप छोटे में ही बच्चों को ऐसी आदत ना लगाये।
मनोवैज्ञानिक राहुल ने चिंता जताते हुए कहा कि जिस उम्र में बच्चों का मन पढ़ाई लिखाई खेल कूद व दूसरे अच्छे कामों में लगना चाहिए वहां मोबाइल इंटरनेट के चक्कर में बच्चे बिहेवियरल एडिक्शन के शिकार हो रहे हैं। यह बेहद गंभीर है और जहां-जहां सरकार के द्वारा पार्क बनाए गए हैं वहां के लोग अपने व्यायाम के लिए खोलते हैं बच्चों के खोलने के समय पार्क बंद कर देते हैं फिर बच्चे खेलने की जगह मोबाइल ही देखेंगे।
बच्चे ज्यादातर समय अपने माता-पिता के साथ बिताते हैं ऐसे में वह अच्छी और बुरी आदतें अपने माता-पिता से ही सीखते हैं अगर आप अपने बच्चों के सामने मोबाइल फोन चलाते हैं तो वह भी इसे देखने की जिद कर सकता है ऐसे में बच्चों को मोबाइल फोन से दूर करने के लिए आपको भी इससे दूरी बनानी होगी।
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