मोहब्बत सिर्फ लफ्ज नहीं, ये इस से बड़कर भी बहुत कुछ है,
मोहब्बत है चुभन दिल की…!
किसी को कब, कहां ये रास होती है
मगर फिर भी
मोहब्बत खास होती है||
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मुसलसल इंतिहां है ये
मोहब्बत करने वाले इम्ताहं लेते हैं जीवन भर
नतीजे की कभी परवाह नहीं करते
मोहब्बत दर्द होती मगर है, ये खुद बहुत बेदर्द होती है||
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बिछड़ना ही लिखा है मुक्कदर में
तो इस में देर काहे कि?
चलो इस पल इसी लम्हे बिछड़ते हैं…!
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