नई दिल्ली। केंद्र सरकार के फैसले से दागी सांसदों और विधायकों की मुश्किलें बढ़ने वाले है। केन्द्र सरकार ने सांसदों एवं विधायकों पर चल रहे आपराधिक मामलों के जल्द निपटारे को लेकर एक वर्ष तक 12 स्पेशल कोर्ट चलाने पर सहमति जता दी है। इस स्पेशल कोर्ट में सांसदो व विधायकों पर लगे लगभग 1571 आपराधि मुकदमों पर सुनवाई होगी। यह मुकदमें 2014 तक सभी नेताओं के द्वारा दायर हलफनामें के आधार पर है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इन मुकदमों का निपटारा एक वर्ष के अंदर किया जाना चाहिए। कानून मंत्री की ओर से दाखिल हलफनामे में इस बात की पुष्टि हुई है। गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इलेक्शन कमिशन ने दागी नेताओं पर चुनाव लड़ने के लिए आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। जिस पर केंद्र सरकार ने इसे खारिज करते हुए 6 वर्ष के प्रतिबंध को ही लागू रखने को कहा था।
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सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं को करारा झटका देते हुए उनके खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई जल्द पूरी करने के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने को कहा था। कोर्ट का आदेश था कि 6 सप्ताह में सरकार अपना ड्राफ्ट प्लान कोर्ट को सौंपे, जिसमें फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या एवं समय की जानकारी भी रहे, ताकि किसी भी दागी जनप्रतिनिधि के खिलाफ दाखिल मुकदमे का निपटारा एक साल के अंदर हो जायें
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आपको बता दें कि 4852 विधायकों एवं सांसदों के हलफनामे का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। जिसमें जिन 51 जनप्रतिनिधियों ने अपने हलफनामे में महिलाओं के विरूध अपराध की बात स्वीकार की है उनमें से 3 सांसद व 48 विधायक हैं। 334 ऐसे पार्टी उम्मीदवार थे जिनके विरूध महिलाओं को लेकर अपराध के मुकदमे दर्ज हैं, और उन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों ने टिकट दिया था।