जहरीली शराब प्रकरण, विधानसभा में दूसरे दिन भी हंगामा

Next day also ruckus in Uttarakhand Assembly
सदन से वाॅकआउट करने के बाद बाहर सीढ़ियों पर धरना देते कांग्रेस विधायक।
Next day also ruckus in Uttarakhand Assembly

देहरादून। Next day also ruckus in Uttarakhand Assembly उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने जहरीली शराब प्रकरण पर नियम 310 के तहत चर्चा की मांग शुरु कर दी। विपक्ष का कहना था कि भगवानपुर क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से 36 लोगों की मौत हुई और 83 लोग अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं, लेकिन न मुख्यमंत्री और न कोई मंत्री ही वहां सांत्वना देने पहुंचा।

पीड़ित परिवार गरीब तबके के हैं उनके घरों में चूल्हे नहीं जल पा रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा उन्हें कोई तात्कालिक सहायता नहीं दी गई, मृतकों के दाह संस्कार के लिए लकड़ी तक की व्यवस्था नहीं की गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रश्नकाल को स्थगित करते हुए इसे नियम 310 के तहत ग्राह्यता पर सुनना शुरू किया।

इस दौरान विपक्ष ने मुख्यमंत्री व आबकारी मंत्री से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांगा। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भगवानपुर क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से हुई मौत के मामले में विधानसभा की एक समिति गठित करने की घोषणा की, यह समिति मौके पर जाकर पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच करेगी और पीड़ितों की आर्थिक सहायता के संबंध में अपनी संस्तुति देगी। समिति के सदस्य बाद में घोषित किए जाएंगे।

विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाॅकआउट कर दिया

इससे संतुष्ठ न होकर विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाॅकआउट कर दिया और सदन के बाहर सीढ़ियों पर बैठकर नारेबाजी करते हुए धरना दिया। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा सब को पता था शराब की भट्टियां कहां है, लेकिन आबकारी विभाग पर आरोप लगते रहे। इस मामले में सिर्फ चुनिंदा लोगों को निलंबित करने से सरकार अपने को नहीं बचा सकती है। उन्घ्होंने कहा, सूबे में नौकरशाही बेलगाम हो गई है।

जहरीली शराब हादसे में कई परिवार उजड़ गए हैं। सरकार निर्देश करें कि ऐसी भट्टियों की जानकारी लें और कार्रवाई की जाए। भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने कहा कि जिस व्यक्ति के यहां तेहरवीं थी, वहां शराब परोसने की बात गलत है, वह परिवार बहुत गरीब है। क्षेत्र में पहले से ही शराब की भट्टियां चल रही हैं। रोज लोग मर रहें हैं। उन्होंने कहा कि मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी दी जाए।

वहीं, दो लाख देने के लिए भी बिसरा रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि लोग रिक्शों में शवों को ले जा रहे थे, लेकिन प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा वहां मौजूद नहीं था। इतनी बड़ी घटना होने के बाद न तो पुलिस और न ही आबकारी विभाग जागा है।

मुआवजा राशि काफी कम

अब जैसे कार्रवाई हो रही है यदि पहले होती तो यह नौबत नहीं आती। उन्घ्होंने कहा कि मुआवजा राशि काफी कम है। यह राशि 2 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये की जाए, इसके अलावा घायलों के उपचार के लिए सीएम ने जो 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की है वह भी नाकाफी है, इस राशि को भी बढ़ाया जाए। जो लोग घायल हैं वे गंभीर हालत में हैं, चिकित्सकों के अनुसार कई की किडनी फेल हो चुकी है और वे जिंदगी व मौत के बीच जूझ रहे हैं।

उन्होंने कहा सात फरवरी की घटना थी और 11 फरवरी को एसआइटी बन रही है। पुलिस अधिकारी संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कह रहे हैं कि मौत का सामान सहारनपुर से आया है। अब कह रहे हैं कि हरिद्वार में ही जहरीली शराब बनी। अधिकारियों में आपसी समन्वय नहीं है। सरकार इसके लिए जिम्मेदार है।

भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल ने सरकार से मांग की है कि हरिद्वार में पूर्ण शराबबंदी हो। यह एक अच्छा कदम है। विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल व करण माहरा ने आबकारी मंत्री से इस्तीफा मांगा। विधायक मनोज रावत ने कहा सोशल मीडिया पर चैबीस घंटे नजर आने वाले अधिकारी कहां नदारद थे।

सरकार ने देवभूमि को शराब भूमि बना दिया है। केदारनाथ तक में बेलगाम शराब बिक रही है। उन्घ्होंने नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री व आबकारी मंत्री का इस्तीफा मांगा। विधायक फुरकान अहमद, राजकुमार और आदेश चैहान ने चर्चा में लिया हिस्सा। उन्होंने मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री का इस्तीफा मांगा।

अधिकारियों को निलंबित किया गया

सरकार की ओर से चर्चा का जवाब देते हुए संसदीय कार्य व आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि जब घटना की सूचना सरकार को मिली तो त्वरित गति से प्रशासन, पुलिस और आबकारी विभाग को मौके पर भेजा गया। तत्काल जवाबदेह अधिकारियों को निलंबित किया गया। आईजी गढ़वाल स्तर के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर कैंप कर रहे हैं। लगातार कार्रवाई चल रही है। बॉर्डर एरिया में ऐसी गतिविधि चल रही है।

नशा एक सामाजिक बुराई। इसे मिटाने के लिए जागरूकता जरूरी। सरकार ऐसी भट्टियों को समूल नष्ट करेगी। आबकारी अधिनियम में इसी सत्र में नॉन बेलेबल प्रावधान बनाए जाएंगे। सरकार इस मामले में संवेदनशील है। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा मृतकों के बच्चों को आश्रम पद्वति के स्कूल में निघ्शुल्क शिक्षा दी जाएगी। विधानसभा अध्यक्ष ने घटना में मृत आत्माओं के प्रति संवेदना जताई।

समिति गठित करने की घोषणा की

स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने सत्ता पक्ष और विपक्ष को सुनने के बाद इस मामले में सदन की एक समिति गठित करने की घोषणा की, जो मामले की विस्तृत पड़ताल करेगी और अपनी रिपोर्ट देगी, समिति की सिफारिश के आधार पर आर्थिक सहायता दी जाएगी व अवैध शराब पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। समिति के सदस्यों की घोषणा बाद में की जाएगी। स्पीकर की इस घोषणा से भी विपक्ष संतुष्ठ नहीं हुआ और बेल पर आकर नारेबाजी करने लगा।

विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार अपना कामकाज निपटाती रही। जब स्पीकर ने विपक्ष की बात नहीं सुनी तो विपक्ष ने सदन से वाॅकआउट कर दिया और सदन के बाहर सीढ़ियों पर बैठक धरना दिया। धरने में विधायक प्रीतम सिंह, ममता राकेश, गोविंद कुंजवाल, करण माहरा, हरीश धामी, राजकुमार, मनोज रावत आदि शामिल हुए, उन्होंने आबकारी मंत्री और मुख्यमंत्री से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मंगा। उन्होंने सरकार पर दलित विरोधी होने का भी आरोप लगाया।

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