पटना,। बिहार के एक पूर्व मंत्री की बेटी से दुष्कर्म व सेक्स रैकेट संचालन के आरोप में अभियुक्त बनाये गये प्रियदर्शी मोटर्स के मालिक निखिल प्रियदर्शी, उसके पिता कृष्णबिहारी प्रसाद सिन्हा एवं उनके भाई मनीष प्रियदर्शी को पटना हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। इन लोगों ने अपने खिलाफ दर्ज किये गये आपराधिक मामले को निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में आपराधिक याचिका दायर की थी। न्यायाधीश बिरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने गुरपफवार को निखिल प्रियदर्शी, कृष्णबिहारी प्रसाद सिन्हा एवं मनीष प्रियदर्शी द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले में अदालत ने पूर्व में सुनवाई कर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
अदालत में निखिल प्रियदर्शी, उनके पिता एवं भाई की ओर से वरीय अधिवक्ता पीके शाही तथा राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सूर्यदेव नारायण यादव तथा पीड़िता की ओर से पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अजय ठाकुर एवं अधिवक्ता कुमार कौशिक ने अपना-अपना पक्ष अदालत के समक्ष रखा था। गौरतलब है कि 22 दिसम्बर 2016 को आॅटोमोबाइल कारोबारी निखिल प्रियदर्शी के खिलाफ कांग्रेस के पूर्व मंत्री की बेटी ने यौन शोषण की रिपोर्ट पटना के हरिजन थाने में लिखाई थी। बाद में 164 के बयान में पीड़िता ने दुष्कर्म की बात कही।
मेडिकल रिपोर्ट ने पीड़िता के आरोपों की पुष्टि की। तभी से निखिल प्रियदर्शी उसके पिता और भाई फरार थे। जिन्हें उत्तराखंड की पुलिस ने पिछले दिनों गिरफ्तार कर बिहार पुलिस को सौंपा। जिसके बाद न्यायालय के आदेश पर निखिल व उसके पिता को जेल भेज दिया गया। जांच के क्रम में इस मामले में पुलिस ने कांग्रेस के नेता ब्रजेश पांडेय को निखिल प्रियदर्शी का सहयोगी पाया था। आरोप लगने के बाद ब्रजेश पाण्डेय ने बिहार कांग्रेस के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और वे भूमिगत चल रहे हैं।
प्राथमिकी में निखिल प्रियदर्शी पर यह भी आरोप लगाया गया था कि वे उसके साथ लगातार यौन शोषण करते रहे हैं। इस काम में निखिल के पिता और भाई का भी सहयोग बराबर रहा है। पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया था कि वह जब निखिल के पिता को इस बात की जानकारी दी तो उनके पिता और भाई ने पीड़िता को जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए धमकाया और कहा कि जो हो रहा है वह ठीक हो रहा है।