मुझे अब सत्ता की चाहत नहीं है : हरदा

No longer want power

No longer want power

उत्तराखंडी पहचान के लिए यह चुनाव अंतिम अवसर
काफल-काले भट्ट, मंडुवे-गन्ने का समन्वित संगीत सीएम की योग्यता

देहरादून। No longer want power उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने अब प्रदेश के मुख्यमंत्री की योग्यता तय करते हुए नये विवाद को जन्म दे दिया है। हरदा ( Harish Rawat ) का कहना है कि यहा का सीएम वही हो जिसको काफल और काले भट्ट की पहचान हो और जो मंडुवे-गन्ने को मिलाकर रस निकालना जानता हो, साथ उन्होने यह कह कर भी कई निशाने साधे हैं कि उन्हें अब सत्ता की चाहत नही हैै।

हरीश रावत ने कहा है कि यहां का मुख्यमंत्री उसे ही बनाया जाना चाहिए जो व्यक्ति जमीन से जुड़ हो और यहां की भौ​गोलिक स्थिति को बखूबी जानता हो, साथ ही उस व्यक्ति में मंडुवे और गन्ने का समन्वित संगीत तैयार करने की क्षमता भी होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंडी पहचान के लिए यह चुनाव अंतिम अवसर है। हरीश रावत ने तमाम सर्वेक्षणों का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें 2022 में मुख्यमंत्री पद का सबसे लोकप्रिय चेहरा बताया गया है। 2017 की चुनावी हार और उसके बाद कई व्यक्तियों के राजनैतिक व्यंग्य ने उनके दिल में छेद किए थे।

उन्होंने ( Harish rawat ) भगवान केदारनाथ और भगवान बद्रीश की बेटे और बेटियों की अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना सेवा की है। आशा थी कि वही उन्हें न्याय दिलाएंगे। उन्हें सबसे लोकप्रिय पंसद बताए जाने से उनके घाव भर गए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें सत्ता की चाहत नहीं है।

सभी को कांग्रेस के साथ खड़ा होना चाहिए : Harish rawat

चाहत गांव के उस व्यक्ति को तरक्की से जोड़ने की है, जिसे अभी तक लाभ नहीं मिला हो। एक समन्वित विकास के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति को सभी हिस्सों व वर्गों की विकास संबंधी आवश्यकता का ज्ञान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंडी पहचान की विजय के लिए सभी को कांग्रेस के साथ खड़ा होना चाहिए।

एक समन्वित विकास के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति को राज्य के सभी हिस्सों व वर्गों की विकास संबंधी आवश्यकता व सोच का ज्ञान होना चाहिए। राज्य को एक ऐसे मुख्यमंत्री की आवश्यकता है जो काफल और काले भट्ट का महत्व समझता हो, जिसके पास ऐसी क्षमता हो जिसके आधार पर वह मडुवे और गन्ने का समन्वित संगीत तैयार कर सके। उत्तराखंडियत के लिए यह चुनाव अंतिम अवसर है।

उत्तराखंडियत की विजय के लिए आपको, हमको, कांग्रेस के साथ खड़ा होना चाहिये। कांग्रेस ने इधर तीन बड़े कार्यक्रम दिये हैं। पहला कार्यक्रम सदस्यता अभियान का है। दूसरा कार्यक्रम गांव-गांव कांग्रेस, गांव से जुड़ो-गांव चलो का है और तीसरा कार्यक्रम पूर्व सैनिकों व शहीदों के सम्मान का है।

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