शराब के ठेकों पर ओवर रेटिंग का चल रहा है खुला खेल

Open game of over rating on liquor contracts

Open game of over rating on liquor contracts

देहरादून। Open game of over rating on liquor contracts शहर की शराब की दुकानों पर ओवर रेटिंग का खुला खेल खेला जा रहा है और आबकारी विभाग आंखे मूंदे बैठा है। जबकि सरकार ने दावा किया था कि इस साल प्रदेश में शराब सस्ती की जायेगी लेकिन सरकार के आदेशों को पलीता लगाते हुए ओवर रेटिंग का खेल खेला जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में मार्च में शराब के ठेकों की नीलामी से पहले ही धामी सरकार ने घोषणा की थी कि इस बार प्रदेश में नयी शराब नीति के तहत शराब के दामों में कमी की जायेगी।

सरकार की इस घोषणा के बाद मदिरा का शौंक रखने वालों को भी काफी राहत सी महसूस हुई थी कि इस बार शराब सस्ती होगी। लेकिन जैसे ही शराब के ठेके नीलाम हुए ऐसा कुछ दिखायी नहीं दिया। कुछ सस्ते ब्रांडों में तो दस से बीस रूपये के दाम कम हुए वहीं महंगे ब्रांडों में ऐसा कुछ दिखायी नहीं दिया।

वहीं देशी शराब के दाम जस के तस ही दिखायी दिये। जिसके बाद मदिरा का सेवन करने वालों की समझ में आया कि सरकार भी लोगों से मजाक कर रही है। वहीं शराब कारोबारी सरकार से भी दो कदम आगे दिखायी दिये।

दुकानों पर सेल्समैन ओवर रेट ले रहे

पर्यटन प्रदेश होने के चलते बाहरी राज्यों से आने वाले लोग यहां पर शराब के दामों को सुनकर अचम्भे में आते हैं कि यह पर्यटन प्रदेश है और यहां पर शराब इतनी महंगी क्यों है? बाद में पता चला कि शराब तो महंगी है ही वहीं दुकानों पर सेल्समैन ओवर रेट ले रहे है।

प्रत्येक पव्वेकृअद्धे पर दस से बीस रूपये तक की ओवर रेटिग साफ दिखायी देती है। यह हाल प्रदेश की राजधानी का है। जहां पर सारे अधिकारी, सचिव, मंत्री सब मौजूद हैं लेकिन ओवर रेटिंग की तरफ किसी का कोई ध्यान नहीं जाता है।

आये दिन इस बात की शिकायतें भी होती रहती है लेकिन अधिकारी इस तरफ कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है। यहां एक बात और है कि अगर कोई व्यक्ति शराब की दुकान पर ओवर रेटिंग का विरोध करता है तो उसके साथ अभद्रता के साथकृसाथ मारपीट भी की जाती है।

वह अगर स्थानीय पुलिस के पास जाता है तो पुलिस भी उसी को दोषी मानते हुए उसको वहां से भगा देती है। अब सोचने वाली बात यह है कि इन शराब कारोबारियों की ओवर रेटिंग को कौन रोकेगा।

आबकारी विभाग इनके सामने नतकृमस्तक है, अधिकारी किसी की सुनने को तैयार नहीं और स्थानीय पुलिस को तो यह अपनी जेब में रखे होने का दावा करते हैं तो फिर कौन बचा जोकि आम जन मानस को इस ओवर रेटिंग से निजात दिला सकता है। यह खेल खुलेआम चला आ रहा है जिला प्रशासन और पुलिस इनको कुछ कहने से शायद डरते हैं।

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