Hindi shayari : jajbaton ki tijarat
वह जज्बों की तिजारत थी, यह दिल कुछ और समझा था,
उसे हंसने की आदत थी, यह दिल कुछ और समझा था,
मुझे वह देख कर अकसर, निगाहें फेर लेता था,
वह दर-ए-परदा हकारत थी, यह दिल कुछ और समझा था।।
(हरकतः नफरत)
जरा इसे भी पढ़ें : Shayari : गालिब VS इकबाल VS फराज VS अयाज
Shayari : जब जब शाम ढलेगी, दिल में
जब जब शाम ढलेगी
दिल में विरानी उतरेगी
आंख यूं भर आयेगी
दिल दर्द की सूरत ढल जायेगा
जब तू रास्ता बदल जायेगा
तो जाना न
हम तन्हा जी पायेंगे
या मर जायेंगे…?
जरा इसे भी पढ़ें : Shayari :हमारा कसूर है माना, तूम्हे अपना जो है