नई दिल्ली। तीन तलाक के मुद्दे पर आॅल इंडिया पर्सनल लाॅ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने लाॅ कमीशन के सवालों का बायकाॅट करने का फैसला लिया है। हालांकि अब मुस्लिम महिलाएं ही बोर्ड के खिलाफ आवाज उठाने लगी हैं। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की अध्यक्षा नाजनीन अंसारी ने लखनऊ कहा कि पर्सनल लाॅ बोर्ड अपने फायदे के लिए शरीयत इस्तेमाल कर रहा है।
उन्होंने कहा, हर बार ऐसा क्यों होता है कि जब महिलाओं की स्वतंत्रता की बात आती है तो शरीयत का हवाला दिया जाता है? एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए नाजनीन ने कहा, क्यों नहीं ये मौलवी बलात्कार और अन्य तरह के अपराधों के आरोपी मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ शरिया कानून का इस्तेमाल नहीं करते? आगरा में भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की जकिया सोमन ने लाॅ कमीशन के सवालों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया। सोमन ने कहा, लाॅ कमीशन ने महिला विरोधी कुरीतियों के खिलाफ हमें अपनी आवाज उठाने के लिए एक अवसर प्रदान किया है। हमारी संस्था 50 हजार मुस्लिम महिलाओं से फाॅर्म भरवाएगी। हमने अपनी यूनिट्स से कहा है कि वह 15 राज्यों में जाकर इन फाॅम्र्स को भरवाएं। इसी तरह की सोच भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सह-संस्थापक रही नूरजहां साफिया नियाज की भी है, वो कहती है कि मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड, लाॅ कमीशन के सवालों पर राजनीति कर रहा है। मुंबई की रहने वाली नियाज कहती हैं, लाॅ बोर्ड अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए पर्सनल लाॅ का इस्तेमाल करता है और वह नहीं चाहता है कि उनके वर्चस्व पर कोई बातचीत भी हो। सरकार इसके द्वारा आंतरिक धार्मिक युद्ध शुरू करना चाहती है, यह कहकर इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है।