लेखक के रूप में पंडित नेहरू

Pt. jawaharlal nehru
लेखक के रूप में Pt. jawaharlal nehru
हिना आज़मी
“सच्ची संस्कृति को दुनिया के हर कोने से प्रेरणा मिलती है लेकिन वह अपनी ही धरती पर पैदा होती है और उसकी जड़े जन मन में समाई रहती हैं”।      
                                                                      पंडित जवाहरलाल नेहरू

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों में एक उल्लेखनीय व्यक्ति माने जाते हैं। Pt. jawaharlal nehru ने देश की आजादी के लिए तो काम किया ही साथ ही देश के आजाद हो जाने के बाद भी देश के निर्माण में अपना योगदान दिया। इन्होंने देश के विकास में भी बहुत मेहनत की।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष भी बने

उनका जन्म 14 नवंबर सन 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू बहुत बड़े वकील थे। इनकी शिक्षा घर पर ही हुई, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए। स्वतंत्रता सेनानी के रूप में इन्होंने बहुत काम किया| 1929 वीं में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष भी बने।

बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। वह शांति, अहिंसा और मानवता के हितेषी थे। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व शांति और पंचशील के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार किया। 1964 में  यह चल बसे। इन्होने साहित्य के क्षेत्र में भी काम किया है, जिससे हम इन्हें एक लेखक के रूप में भी जान सकते हैं।

इनकी साहित्यिक विशेषताएं-

जवाहरलाल नेहरु ने अपनी रचनाओं में देशप्रेम व स्वाधीनता की भावना को चित्रित किया है। उन्होंने सच्ची संस्कृति का दुनियाभर में प्रसार करने का प्रयास किया और लोगों को इसके लिए प्रेरित किया।

इनके लेख और रचनाएं

हिंदुस्तान की समस्याएं , राष्ट्रपिता, स्वाधीनता और उसके बाद लड़खड़ाती दुनिया, भारत की बुनियादी एकता।

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