Rakbar Mob Lynching
देहरादून। मुस्लिम सेवा संगठन ने मौब लिंचिंग बंद किए जाने की मांग को लेकर डोईवाला तहसील कार्यालय में प्रदर्शन किया। संगठन ने रकबर लिंचिंग ( Rakbar Mob Lynching ) मामले की न्यायिक जांच किए जाने की मांग की। संगठन ने इस संबंध में उपजिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी भेजा है।
मुस्लिम सेवा संगठन के कार्यकर्ता संगठन के संरक्षक आजाद अली के नेतृत्व में डोईवाला तहसील कार्यालय में एकत्रित हुए और इस मामले में नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि हाल ही का मामला राजस्थान के अलवर का है, जहाँ रकबर ओर असलम गाय खरीद कर अपने हरियाणा में स्थित अपने गाँव को जाते हैं परंतु रास्ते में भीड़ उन्हें गौ तस्कर समझकर मारने लगती है, और वहाँ से असलम तो भाग जाता है, परंतु रकबर को भीड़ नहीं छोड़ती और बुरी तरह से मारने लगती है।
घटना की जानकारी गौ रक्षक नवल के द्वारा समय 12.40 पर पुलिस थाने में दी जाती है, थाने से घटना स्थल की दूरी 15-20 मीटर की है, और पुलिस वहाँ पहुँचती है, पुलिस रकबर को गाड़ी मैं बैठाती है, और रकबर पुलिस वालों से कहता है, मेरे से कहीं चला नहीं जा रहा है, पाँव में दर्द है|
Rakbar Mob Lynching : अस्पताल ले जाने के बजाय नवल के गाँव ले जाया गया
पुलिस रकबर को अस्पताल ले जाने के बजाय नवल के गाँव ले जाते हैं, नवल ने जो फोटो रकबर की जारी की है वो पुलिस की जीप की है, और उसके कपड़े और वो उसमें साफ नजर आता है, जबकि पुलिस रिपोर्ट में है की जब रकबर को घटना स्थल में देखा गया था तो वह मिट्टी से सना हुआ था, यानि रास्ते में उसे नहलाया गया व कपड़े बदले गए, नवल के गाँव पहुँचते हैं|
नवल की चाची जब पुलिस की जीप देखती है तो उसमें कुछ पुलिस वाले रकबर को मार रहे होते हैं और गलियाँ दे रहे होते हैं, तब भी रकबर को अस्पताल ले जाने के बजाय गाय की गौशाला ले जाने के लिय गाड़ी का प्रबंध करते हैं। 2 बजे गाँव से सब निकलते हैं और रास्ते में चाय पीने के लिए रुकते हैं 3 बजे गौशाला में पुलिस व रकबर और नवल पहुँचते हैं नवल के बयान के अनुसार उस समय रकबर बात कर रहा था|
उठ बैठ रहा था, उसके बाद रकबर को लेकर पुलिस थाने पहुँचती है और वहाँ से 500 मीटर की दूरी में जो हॉस्पिटल है वहाँ पर पुलिस रकबर को लेकर 4 बजे पहुँचती है जहां पर डॉक्टर जब उसे देखता है तो वह मृत पाया जाता है, मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार रकबर की पसलियाँ टूटी हुई थी उसके शरीर में हाथ सहित 8 जगह चोटिल पायी गयी डॉक्टर राजेश गुप्ता ने बताया की रकबर की मौत पिटाई से हुई है|
Rakbar Mob Lynching : सवाल यह है की पुलिस जाँच करे या पुलिस की जांच होगी
सवाल यह है की पुलिस जाँच करे या पुलिस की जांच होगी। अलवर में एक साल पहले भी पहलू खान की हत्या मौब लिचिंग से हुई थी क्योंकि किसी पे आरोप साबित नहीं हुआ पकड़े गए सब संदिग्ध बरी हो गए, क्यों अलवर में एक साल के भीतर दो मजदूरों की हत्या होती है मौब लिंचिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी भीड़ की हिंसा पर कड़ी टिप्पणी की थी और
ऐसे मामले में पुलिस कैसे काम करेगी, उसकी जवाब देही का ढाँचा बनाया गया।
सरकार और प्रशासन ने आश्वासन दिया है की कमेटी गठित करके उच्च जांच होगी, गृह मंत्री ने भी माना की पुलिस शक के घेरे में है, परन्तु आश्वासन पहलू खान की मौत के समय पर भी दिया गया था आज ना कोई आरोपी है ओर ना कोई संदिग्ध रकबर मर गया, पहलू खान मर गया, अलवर में डर आज इस कदर मुस्लिम किसानों को हो गया है की वो गाय को दान कर भैंस खरीद रहे हैं क्योंकि वे सुरक्षित नहीं है परन्तु गाय की तुलना में भैंस महंगी है|
मुस्लिम और कई किसान इसे ले नहीं सकते सवाल, ये उठता है किसी एक धर्म के अंदर ऐसा डर क्यों आया और कौन इसे लाया क्यों लिंचिंग से हिरासत में लिए गए आरोपियों को बरी किया जाता है, तो केंद्रीय मंत्री फूलों की माला पहना कर उनका स्वागत करते हैं।
प्रदर्शनकारियों में मुस्लिम सेवा संगठन के संरक्षक आजाद अली, परवादून संरक्षक अकरम अली, सारिक खान, नौशाद अली, साजिद अली, सोयब अली, आसिफ अली, मुस्तकीम, वसीम अहमद, मोहम्मद इनाम, तारिक खान, हसीन अहमद, सद्दाम हुसैन, समीर अहमद, सलीम अहमद, शाहिद अहमद, लतिफुर रहमान आदि शामिल रहे।