गजबः जो खुद झूठे एनकाउंटर का दोषी, उसे ही बना दिया जांच अधिकारी

Ravindra Gaur blameworthy of Fake encounter

Ravindra Gaur blameworthy of Fake encounter

कानपुर एनकाउंटरः एसआइटी में शामिल डीआईजी के खिलाफ चल रही फेक एनकाउंटर की सीबीआई जांच
मुकुल गुप्ता एनकाउंटर केस में आरोपी हैं डीआईजी जे रवींद्र गौड़
इस केस में गौड़ के अलावा कई अन्य पुलिसकर्मी के खिलाफ चल रही है जांच

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बिकरू गांव में 3 जुलाई को एनकाउंटर हुआ था। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के इस केस की जांच के लिए अब स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया गया है।

नवभारत टाइम्स के अनुसार इस टीम में शामिल डीआईजी जे रवींद्र गौड़ के खिलाफ ही फर्जी एनकाउंटर का आरोप ( Ravindra Gaur blameworthy of Fake encounter ) है। इस केस में उनके खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है। इसके अलावा अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी इस एसआईटी के अध्यक्ष हैं।

उनके अलावा डीआईजी जे रवींद्र गौड़ और अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा इस टीम का हिस्सा हैं। जो पुलिस वाला खुद झूठा एनकाऊंटर का दोषी हैं ।

उसको एसआईटी बनाकर जांच अधिकारी नियुत्त कर योगी ढकोसला इंक्वारी कराना चाहते हैं। कायदे से सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सीबीआई जांच की जाएँ. विकास दुबे केस में पुलिस पर शुरुआत से ही सवाल उठ रहे हैं।

पहले चैबेपुर थाने के पुलिसकर्मियों की संलिप्तता और विकास दुबे को संरक्षण देने का मामला आया। पिफर एनकाउंटर के वत्त भी मुखबिरी की वजह से पुलिसकर्मियों की जान गई।

आखिर में विकास दुबे को लाते समय हुए एनकाउंटर पर भी सवाल उठ रहे हैं। इसी बीच एसआईटी में डीआईजी जे रवींद्र गौड़ को शामिल किए जाने पर भी सवाल उठना लाजिमी है।

दवा कारोबारी के एनकाउंटर केस में फंसे जे रवींद्र गौड़

30 जून 2007 को बरेली में एक एनकाउंटर हुआ था। दवा के कारोबारी मुकुल गुप्ता को पुलिस ने मार गिराया था। इस केस में पुलिस का कहना है कि मुकुल, पंकज सिंह के साथ एक बैंक लूटने जा रहा था।

मुकुल गुप्ता के पिता बृजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाए थे कि पुलिसकर्मियों ने प्रमोशन के चक्कर में उनके बेटे को मार डाला। उन्हीं की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह केस सीबीआई को दे दिया।

सीबीआई ने 26 अगस्त 2014 को चार्जशीट फाइल की थी। इसी मामले में जे रवींद्र गौड़ और नौ अन्य पुलिसकर्मी आरोपी हैं। कानपुर के भैरव घाट पर विकास दुबे के अंतिम संस्कार के वत्त उसकी पत्नी ऋचा दुबे ने मीडिया के लोगों को खूब खरी-खोटी सुनाई।

श्मशान घाट पर परिवार से बात करने पहुंचे मीडिया के लोगों ने जिस वत्त ऋचा से सवाल किए वह पत्रकारों पर भड़क गई।

‘पहले मरवाते हो फिर मुंह चलाने आते हो’

इसी दौरान मीडिया ने कुछ और सवाल पूछने की कोशिश की, लेकिन विकास की पत्नी ने मीडिया पर भड़कते हुए कहा- पहले मरवाते हो फिर मुंह चलाने आते हो।

पुलिस ने जो किया सही किया

रोते और चिल्लाते हुए ऋचा ने मीडिया के लोगों पर जमकर गुस्सा उतारा लेकिन ये भी कहा कि उसके पति ने गलती की थी और पुलिस ने जो किया वो सही किया। ऋचा ने मीडिया के लोगों से ये जरूर कहा कि वो अपने घर वापस चले जाएं।

मीडिया के सवालों का चिल्लाकर दिया जवाब

मीडिया के लोगों ने भैरव घाट पर ऋचा से कहा कि क्या विकास दुबे ने गलती की थी? इसके जवाब में ऋचा ने चिल्लाते हुए हां में जवाब दिया। अगले ही पल मीडिया के बीच से एक और सवाल पूछा गया- उसके साथ सही हुआ? ऋचा ने कहा- हां सही हुआ।

विकास के एनकाउंटर से पहले हुई थी पूछताछ

ऋचा को विकास के एनकाउंटर से पहले पुलिस की हिरासत में रखकर पूछताछ भी की गई थी। विकास दुबे के एनकाउंटर के वक्त विकास की पत्नी और बेटे को पुलिस ने छोड़ दिया था।

विकास दुबे की पत्नी को रिहा करते हुए पुलिस ने कहा था कि उसका विकास के अपराध में कोई हिस्सा नहीं है और परिवार के लोग निर्दाेष हैं।

2015 में हो गई मुकुल गुप्ता के मां-बाप की हत्या

मुकुल गुप्ता के पिता ने अपने बेटे को इंसाफ दिलाने की ठान रखी थी। उन्होंने स्थानीय स्तर से लेकर हाई कोर्ट तक लड़ाई लड़ी और केस में सीबीआई जांच शुरू हो गई। इसी बीच 2015 में मुकुल के पिता बृजेंद्र गुप्ता और माता शन्नो देवी की हत्या कर दी गई।

बदायूं में हुई इस हत्या में धारदार हथियार का इस्तेमाल किया गया। दोनों की हत्या के बाद सीबीआई की जांच के दायरे में वे पुलिस वाले भी आए, जो मुकुल गुप्ता एनकाउंटर केस में शामिल थे।

तीन सदस्यों वाली यह टीम पूरे मामले की जांच करके 31 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपेगी। जांच में यह जानने की कोशिश की जाएगी कि विकास दुबे के खिलाफ जितने भी मुकदमे चल रहे हैं, उनमें अभी तक क्या कार्यवाही की गई है?

विकास दुबे के साथियों को सजा दिलाने के लिए की गई कार्रवाई क्या पर्याप्त थी? लंबी चैड़ी हिस्ट्रीशीट वाले विकास दुबे की जमानत कैंसल करने के लिए क्या कार्रवाई की गई?

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