कुरान का पढ़ना व सुनना ही काफी नही है उस पर अमल करना भी जरुरी

Reading and listening Quran
अलविदा जुमे की नमाज अता करते हुए नमाजी।
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रुड़की। Reading and listening Quran रमजान के आखिरी जुमा यानि अलविदा जुमे की नमाज नगर व देहात में बडी अकीदत के साथ अदा की गई। नमाजियों ने खुदा से गुनाहो की माफी मांगी तथा रहमतों वाले इस महिने में मुल्क में अमन तरक्की व कौम की खुशहाली की दुआएं मांगी।

नगर की प्रमुख जामा मस्जिद मे नमाज से पहले हुए खुतबे व तकरीर में मौलाना अजहरुल हक ने रमजान महिने की फजीलत को बयान किया तथा सदका व जकात के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केवल भूख और प्यास को रोकना ही रोजा नही बल्कि इसके मूल में सोहबत/बुराईयों को त्यागना और नेक बनकर अल्लाह की इबादत करना है। कुरान का पढना व सुनना ही काफी नही है उस पर अमल करना अहम है। हमे चाहिए कि हम पूरे साल इस पर अमल करे तथा सच्चाई, ईमानदारी, दियानत दारी को न छोड़े।

रमजान के महिने में ही अल्लाह के रसूल पर कुरान पाक नाजिल

मौलाना अरशद कासमी ने कहा कि रमजान और ईद की नसीहतों पर जाऐ तो उसमें मुख्य रुप से पांच चीजे सामने आती है तकवा, अनुशासन, शिष्टाचार, सामाजिक दायित्व व सामाजिक सरोकार। मुफ्ती मुहम्मद सलीम ने कहा कि रमजान के महिने में ही अल्लाह के रसूल पर कुरान पाक नाजिल हुआ।

इसे माह रोजे फर्ज हुए। इस्लाम में पांच अरकान हैं कलमा, नमाज, रोजा जकात व हज। ये हर मुस्लामन का फर्ज है। अलविदा जुमा की नमाज नगर की सभी मस्जिदों के साथ सााि ग्रामीण ईलाकों की मस्जिदों में भी अदा की गई। इस मौके पर विधायक हाजी फुरकान अहमद, डा. इरशाद, अफजल मंगलौरी, मुनव्वर हुसैन, जावेद अख्तर, सलीम खान, शेख अहमद जमां, मुजीब मलिक, सैयद नफीस, फखरे आलम, नैयर, काजमी, इमरान देशभक्त मौजूद रहे।

नगर में शनिवार को ईद की नमाज ईदगाह में प्रातः 8.30, जामा मस्जिद में प्रातः 7:45, मरकज बिलाल मस्जिद में प्रातः 9:00, मस्जिद हव्वा में प्रातः 7:30 तथा रामपुर ईदगाह में प्रातः 8:00 बजे अदा की जायेगी।

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