Remote monitoring system शिक्षकों की अनुपस्थिति कम करने में प्रभावी
देहरादून। एंड्रॉइड टैबलेट और ई-अटेंडेंस और व्हाट्सएप जैसे मॉनिटरिंग ऐप्स जैसी दो सरल, सुलभ प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करके न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में अनुपस्थिति को कम किया जा सकता हैं, बल्कि शिक्षकों की प्रभावशीलता में वृद्धि और छात्रों के प्रदर्शन में सुधार भी किया जा सकता है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में अमृता ग्रामीण शिक्षा केंद्र नामक 18 अध्ययन केंद्रों और उनसे संबंधित सरकारी स्कूलों में अमृता विश्व विद्यापीठम के द्वारा संचालित तीन साल की रिमोट मॉनिटरिंग परियोजना ( Remote monitoring system ) की उपलब्धि है।
सीखने और शिक्षक की निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी-उन्नत इस मॉडल को ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रोंके प्रदर्शन में सुधार करने के लिए अमृता विश्व विद्यापीठम की चांसलर माता अमृतानंदमयी देवी ने शुरू किया था। स्कूल के शिक्षकों खासकर दूर- दराज और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों पर निगरानी रखना चुनौतीपूर्ण होता है, जहां बुनियादी ढांचे और संसाधनों की कमी होती है। उपस्थिति रजिस्टर को मेंटेन रखना या स्कूल में मौजूदगी का निरीक्षण करना जैसे तरीके बहुत प्रभावी साबित नहीं हुए हैं, और भारत के दूर-दराज के इलाकों में शिक्षकों और छात्रों के अनुपस्थित रहने की दर अब भी बहुत अधिक है।
अमृता सेंटर आॅफ रिसर्च इन एनालिटीक्स एंड टेक्नोलाॅजीज फाॅर एजूकेशन की निदेशक डॉ. प्रेमा नेदुंगडी ने कहा, ‘‘सार्वजनिक स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों की अनुपस्थिति एक बड़ी चुनौती है। अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में कई जगहों पर स्कूलों में शिक्षकों के अनुपस्थित रहने की दर काफी अधिक है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि झारखंड जैसे स्थानों में शिक्षकों की अनुपस्थित दर 42 प्रतिशत है। उत्तराखंड में हमारी Remote monitoring system हमें इस समस्या को हल करने का एक अभिनव तरीका प्रदान करती है।
शिक्षकों और कक्षाओं की निगरानी करने में मदद करेगा Remote monitoring system
व्हाट्सएप के साथ डेटा इकट्ठा करने और भेजने के लिए ऐप्स को लोड की गई एंड्रॉइड टैबलेट, अध्ययन केंद्र में शिक्षकों की गतिविधि के बारे में वास्तविक समय पर डेटा प्राप्त करने और शिक्षकों और छात्रों दोनों की अनुपस्थिति को खत्म करने के लिए उपयोगकर्ता के अनुकूल मंच प्रदान करती हैं। सस्ता और आसानी से उपलब्ध ये उपकरण दूर-दराज के शिक्षकों और कक्षाओं की निगरानी करने में मदद कर सकते हैं और परिणाम में काफी सुधार कर सकते हैं।’’
अमृता विश्व विद्यापीठम् द्वारा संचालित अमृता ग्रामीण भारत टैबलेट शिक्षा (अमृताराइट) कार्यक्रम के तहत, इसमें भाग लेने वाले अध्ययन केंद्रों के शिक्षकों को ऑनलाइन कनेक्टिविटी के लिए 2 जी सिम कार्ड के साथ टैबलेट दिए गए हैं। छात्रों को शैक्षिक सामग्री के साथ टैबलेट दिया जाता है, जिसे ब्लूटूथ के माध्यम से शिक्षकों के टेबलेट से जोड़ा जा सकता है। शिक्षकों के टेबलेट में व्हाट्सएप के साथ-साथ शिक्षकों की उपस्थिति और उनके प्रषिक्षण के लिए दो और ऐप्स इंस्टाॅल किये गए हैं जो कक्षा निगरानी उपकरणों के रूप में कार्य करते हैं।
छात्रों के अध्ययन में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया
अध्ययन केंद्र स्थानीय सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के साथ घनिष्ठ सहयोग में काम करते हैं, छात्रों के प्रदर्शन में सुधार के लिए नोट्स का आदान-प्रदान करते हैं और उनकी उपस्थितियों को बढ़ाते हैं। कई मामलों में, छात्रों पर इस तरह की निगरानी से अप्रत्यक्ष रूप से स्थानीय स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति में भी सुधार होता है। ‘‘क्लस्टर कोआॅर्डिनेटर्स’’ चार से पांच गांवों के समूह के लिए शैक्षिक गतिविधियों की निगरानी करते हैं। वे समय- समय पर स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति की जांच के लिए केंद्रों बिनी किसी पूर्व सूचना के जाते हैं|
प्रत्येक केंद्र में व्हाट्सएप संचार के लिए टैबलेट वितरित करते हैं, प्रत्येक शिक्षक से जानकारी एकत्र करते हैं और निर्णय लेते हैं। ऐसे पांच क्लस्टर कोआॅर्डिनेटर्स सेंट्रल कोआॅर्डिनेटर्स को रिपोर्ट करते हैं। डॉ. नेदुंगड़ी ने कहा, ‘‘इस दृष्टिकोण को अपनाने से, छात्रों के अध्ययन में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड में उडलका में, कक्षा 3 के केवल 24.8 प्रतिषत छात्र फरवरी 2016 में किए गए मूल्यांकन में ग्रेड स्तर पर गणित कर सकते थे।