दून अस्पताल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट व उनकी टीम ने दो जिंदगियों को दिया जीवनदान

Senior cardiologist of Doon Hospital gave life to two lives

Senior cardiologist of Doon Hospital gave life to two lives

देहरादून। Senior cardiologist of Doon Hospital gave life to two lives दून अस्पताल में सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अमर उपाध्याय व उनकी टीम ने दो अलग-अलग केसों में मरीजों को जीवनदान दिया है। चमोली सिंगली निवासी 9 वर्ष की अंशी पुत्र सूरत सिंह रावत को परिजनों द्वारा विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में दिखाई जाने पर पता लगा की अंशी के दिल में जटिल छेद है।

प्राइवेट अस्पतालों में डेढ़ से दो लाख का बिल देने में अंशी का परिवार असमर्थ था। तो दून अस्पताल में ओपीडी में अंशी को दिखाया गया। डॉक्टर ने बिना समय गवाएं अंशी को भर्ती किया।

जिसके बाद (ई सी ओ) वह अन्य जांच की गई और तीन दिन बाद 25 जुलाई को दून अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अमर उपाध्याय और उनकी टीम डॉ शोभा और डॉ आनंद प्रकाश द्वारा अंशी का सफल इलाज किया गया। आयुष्मान योजना के तहत अंशी का निःशुल्क इलाज किया गया।

डॉ अमर उपाध्याय द्वारा बताया गया की सेंट भोल्यूम ज्यादा होने से हार्ट के अलग-अलग चेंबर में कैथेटर डालकर प्रेशर को मेजर किया गया और पीडीए (पेटेंट डक्टस अर्टियोसिस) को वस्कुलर प्लग से क्लोज किया गया।

25 जुलाई को चकराता निवासी 61 वर्ष के गोपाल सिंह तोमर के सीने में तेज दर्द हुआ तो दून अस्पताल के इमरजेंसी में लाए गए। ईसीजी कराने पर पता चला कि उनको मेजर हार्ट अटैक आया है। अस्पताल कर्मियों द्वारा बिना समय गवाएं उन्हें कार्डियोलॉजिस्ट विभाग में भर्ती कराया गया। जिसमें विभिन्न टेस्ट के बाद डॉक्टर अमर उपाध्याय व उनकी टीम ने मात्र 7 मिनट में दो स्टंट लगाकर उनकी सफल एंजियोप्लास्टी कर मरीज की जान बचाई।

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अमर उपाध्याय द्वारा बताया गया की हार्ट अटैक के बाद कार्डियोजेनिक शॉक एक सीरियस बीमारी है जिसमें एंजियोप्लास्टी के बाद केवल 50% लोग ही बच पाते हैं। सही समय रहते और डॉक्टर की सूझबूझ से मरीज की जान बचाई जा सकी।

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