इस जगह बेटियों के पैर छोटे कर खुद को समझा जाता था अमीर Small legs
हिना आजमी
Small legs कुरीतयों और परंपराओं के नाम पर स्त्रियों पर अत्यचार होने का सिलसला आज का नहीं है बल्कि ये सदियों से चला आ रहा हैं। बालविवाह, सती प्रथा, कन्याभ्रूणहत्या – ये कुरीतियां आज भी किन्हीं जगह पर जिंदा हो सकती है। ये कुरीतियां उसके मुकाबले काफी बेहतर होंगी जिस रूढ़िवादी रीति के बारे में मैं आपको बताने जा रही हूं। महिलाओं को हर युग में उत्पीड़न की त्रासदी झेलनी पड़ती है।
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रूड़वादी प्रथाओं का चलन सिर्फ हमारे देश में ही नही था, ऐसी बेहुदी परंपराएं चीन मे भी थीं, जी हां वही चीन जो कितना विकसित है। विदेशों मे महिलाओं की दशा अपने भारत से भी दयनीय रही हैं। हमारी आज की कहानी आपको चौंका देने वाली हैं क्योंकि इसमें अपने मां-बाप ही बेटियों को पीड़ा देते थे। आज आप जानेंगे कि किस तरह अपने परिवार वाले ही ऐसा जुल्म ढ़ाया करते थे जिससे आप का दिल भी उस पर रो सकता है।
कहानी है चीन की, जहां लड़कियों को पांच वर्ष की उम्र से ही उसक पति और ससुराल के योग्य बनाने के लिए बहुत कष्टदायक प्रहार किये जाते थे। इस बेहुदा प्रथा में बचपन से ही लड़कयों के पैर सख्त पट्टी से बांधे जाते थे ताकि पैर कमल के आकार के और आकर्षक हो। इसके लिए लड़की के पैरों को गर्म पानी और जड़ी-बूटियों के द्वारा मोड़ा जाता था और निकली हड्डियों को पत्थर से कुचला जाता था।
उंगलियां पंजे की तरफ मोड़कर पट्टियों को बहुत कसकर बांधा जाता था
अंगूठे को छोडकर सारी उंगलियां पंजे की तरफ मोड़कर पट्टियों को बहुत कसकर बांधा जाता था, जो उसके जवान होने तक चलती रहती थी। इंफेक्शन न हो इसके लिए पट्टियां बदली जाती थी, मांस गलने पर वो हिस्सा काट दिया जाता था। पट्टियां कभी नहीं निकालने दिया जाता था। बेटियां तड़पकर मां को ढ़ीला करने के लिए बोलती थी, मां मजबूर थी कुछ न कर पाती। शादी के लिए लड़के वाले पहले पैर देखते तब रिश्ता पक्का करते थे।
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माना जाता था कि तिकौने आकार के पैर सौंदर्य और आकर्षण का प्रतीक थे। कमल आकार के पैरा वाली बहुएं जिस घर में जाती होती थी वह परिवार उतना ही अमीर माना जाता था। इस प्रथा कि शुरूआत लियो सांग नामक राजा ने की थी जो एक नर्तकी के पैरों पर फिदा हो गया क्योकि उसके पैर पट्टी से बंधे थे।
राजसत्ता के खत्म होने के साथ ही इस पर रोक लग गई
राजघराने की ये प्रथा आम परिवारों में भी चल पड़ी और बस गई। सैकड़ों वर्षें तक कितनी ही लड़कियों को इस फूहड़ परंपरा की भेंट चढ़ना पड़ा लेकिन राजसत्ता के खत्म होने के साथ ही इस पर रोक लग गई। इस कुरीति में लड़कियों के पैरों को तिकौने (Small legs) करने के पीछे मकसद बस सेक्सुअल अट्रैक्शन था। लड़की को आकर्षक बनाने वाली ऐसी प्राथाओं को बेहुदा कहना गलत नहीं होगा।