लखनऊ। नोटबंदी के खिलाफ भारत बंद को लेकर उत्तर प्रदेश में विपक्षी दल बिखरा नजर आ रहा है। प्रदेश की सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी केवल नैतिक समर्थन देकर बंद से पल्ला झाड़ लिया है। वहीं जनता और व्यापारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय के साथ खड़े दिख रहे हैं। प्रदेश के करीब सभी शहरों में बाजार पूरी तरह खुले हुए हैं।
विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार द्वारा 500 और एक हजार रुपये के पुराने नोट बंद करने के निर्णय में सोमवार को भारत बंद करने का आह्वान किया है लेकिन उत्तर प्रदेश में कल से ही विपक्षियों में बिखराव दिखने लगा था। जनता दल यूनाईटेड (जदयू) मुखिया और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नोटबंदी के समर्थन में आने के बाद प्रदेश में उसके साथ हाल ही में गठबंधन करने वाली राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने भी भारत बंद से अपने को अलग कर लिया है। प्रदेश की सत्तारुढ़ सपा ने बंद को केवल नैतिक समर्थन देने की बात कही है। प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बसपा भी भारत बंद से किनारा कर गयी है। कांग्रेस भी बंद को समर्थन न देकर आज प्रदेश भर में जनाक्रोश दिवस मना रही है। उधर, जनता और व्यापारी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के साथ खड़े दिख रहे हैं।
परिणामस्वरुप प्रदेश में बंदी का असर लगभग नहीं के बराबर मिल रहा है। लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, मेरठ, मथुरा समेत प्रदेश के करीब हर बड़े शहर में आज सुबह से ही दुकानें खुली हुई हैं। लखनऊ स्थित प्रताप मार्केट मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश छाबड़ा का कहना है कि भारत बंद तो दूर कोई भी राजनीतिक दल अभी तक दुकान बंद करने के लिए कहने तक नहीं आया है। पूरा बाजार खुला रहेगा कोई बंदी नहीं है। भूतनाथ व्यापार मंडल के अध्यक्ष देवेंद्र गुप्ता कहते हैं कि राजनीतिक दलों से व्यापारी दूर हैं। सिर्फ राजनीति के लिए व्यापारी बाजार बंद नहीं करेंगे। व्यापारियों को समस्या होगी तो आंदोलन किया जाएगा। दाल एंड राइस मिलर एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण ने बताया कि बाजार बंद करने का फैसला राजनीतिक है। व्यापारियों से इसका कोई ताल्लुक नहीं है। पूरा बाजार खुला है। ऐसे में कारोबार बंद करना व्यापारियों के हित में नहीं है।