नई दिल्ली। भारतीय इस्पात उद्योग को मजबूती प्रदान करने हेतु भारत सरकार ‘मेक इन स्टील अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ 17 फरवरी को आयोजित करने जा रही है जिसके तहत इस्पात उद्योग में आ रही समस्याओं को दूर कर बढ़ावा देने का प्रयास किया जायगा। दिल्ली में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में चीन, जापान और दक्षिण कोरिया समेत 15 से अध्कि देशों के 300 से अध्कि प्रतिनिधि् हिस्सा लेंगे।
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य वर्तमान में इस्पात उद्योग की विकट परिस्थितियों से छुटकारा दिलाना। घरेलू स्तर पर कम खपत और कोयले एवं लौह अयस्कों की बढ़ती कीमत, इस्पात कम्पनियों पर बढ़ रहे कर्ज के बोझ तथा सस्ते एवं घटिया इस्पात का चीन से आयात होना इत्यादि समस्याओं का उचित निवारण कर भारत के मेक इन इण्डिया प्रोजेक्ट के तहत मेक इन स्टील को बढ़ावा देना है। सम्मेलन का उद्घाटन 17 फरवरी को केंद्रीय मंत्रा चौधरी वीरेंद्र सिंह और इस्पात सचिव डॉ अरुणा शर्मा द्वारा किया जायेगा। इसके बाद देश-विदेश के विशेषज्ञों द्वारा सम्मेलन को सम्बोध्ति किया जायेगा।
स्वदेशी स्टील का इस्तेमाल आर्थिक विकास की कुंजी है। इसके मद्देनजर सरकार देश को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश बनाने के लिए कदम उठा रही है। देश में स्टील की खपत को भी बढ़ाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार मेक इन इंडिया और स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सहयोग पर जोर दे रही है। इस्पात मंत्रालय ने देश में स्टील खपत बढ़ाने के लिए पहले ही एक अभियान शुरू कर चुका है। इसके तहत सभी संबंधित मंत्रालयों के जरिये सरकार की सभी इंफ्रस्ट्रक्चर और मैन्यूफैक्चरिंग परियोजनाओं में केवल भारत में बने स्टील के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। देश में अभी स्टील की प्रति व्यत्तिफ सालाना खपत 60 किलो है, जबकि विश्व औसत 208 किलो का है। इस लिहाज से खपत में बढ़ोतरी की खासी गुंजाइश है।