क्या आप को पता है कि आपके पेट में लीवर बिल्कुल नीचे दाईं ओर होता है और अमरूद की शक्ल के इस अंग में एक लिक्विड बाइल या पित्त होता है। यह तरल पदार्थ जिगर में बनता है जो कि चर्बी और विशिष्ट विटामिन को पचाने में मदद देता है। जब आप खाते हैं तो शरीर उसे हटाने का संकेत देता है।
लेकिन पित्त में अक्सर लोगों को पत्थरी की समस्या पैदा होता है जिसके कारण द्रव का ठोस रूप धारण कर लेता है जो कि एक गोल्फ बाॅल जितनी बड़ी भी हो सकती है, जबकि एक या कई भी हो सकती हैं। यह पथरियां सैकड़ों कोलेस्ट्रॉल से बनती हैं, लेकिन कुछ लोग जिन्हें लिवर के विभिन्न रोगों हो, उनमें इस प्रकार अलग हो सकती हैं।
अगर पित्त सूजने लगे जिसे मेडिकल भाषा में Cholecystitis कहा जाता है, जो कि पत्थरी की निशानी भी है, इसके लक्षण निम्नलिखित हैं।
लक्षण:- दिल मतलाना, उल्टी, पेट में दर्द, गहरे सांस लेते हुए गंभीर दर्द, कमर या दाएँ कंधे में असुविधा का एहसास।
जरा इसे भी पढ़ें : दिल को सेहतमंद रखने के लिए अपनाये ये आदत
किसे खतरा होता है?
महिलाओं में अधिक संभावना : चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि एसट्रोजन पित्त में पत्थरी में भूमिका निभाता है। महिलाओं में अधिक मात्रा में पाए जाने वाला यह हार्मोन पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है जबकि मातृत्व के दौरान वे कठोर हो जाता है। यह ऐसा गाढ़ा द्रव होता है जो शरीर में आसानी से अवशोषित नहीं कर पाता।
खानदानी इतिहास : अगर परिवार में किसी को इसकी शिकायत रह चुकी हो तो आपके अंदर भी इसका खतरा अधिक होता है। शोधकर्ताओं के विचार में विशिष्ट जींस पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ाने के कारण बनते हैं।
जरा इसे भी पढ़ें : देर से भोजन करना पर इन गंभीर रोगो से हो सकते हैं ग्रसित
मोटापा : यदि आपका शारीरिक का वजन अधिक है तो शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी अधिक होने की संभावना है, जिसका मतलब है कि पित्त में पत्थरी का खतरा भी बढ़ जाता है, विशेष रूप से तोंद निकलने की स्थिति में नब्बे प्रतिशत संभावना पित्त में पत्थर होने का होता है।
शारीरिक वजन तेजी से कमी : अगर शारीरिक वजन बहुत तेजी से कम हो तो भी पित्त में पत्थर का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि कम कैलोरी वाली आहार पित्त के लिए सख्त साबित होती है। उसी तरह चक्र चलाना और शारीरिक वजन में लगातार कमी या वृद्धि भी समस्या का कारण बनता है।
जरा इसे भी पढ़ें : नारियल का तेल सेहत के लिए खतरनाक
आहार : चर्बी और कोलेस्ट्रॉल से भरपूर आहार भी पित्त में पत्थर का खतरा बढ़ा देती है।
मधुमेह : अगर यह रोग पैदा हो और गुर्दे को प्रभावित कर रहा है, तो रक्त में चर्बी की एक किस्म बढ़ने की संभावना होती है जो कि पित्त में पत्थर का खतरा बढ़ाती है।
उम्र : चालीस साल से अधिक उम्र के बाद पित्त में पत्थरी की संभावना बढ़ जाती है।
बचने के उपायों : शारीरिक वजन स्वस्थ स्तर पर बनाए रखें, फाइबर युक्त आहार का प्रयोग करें जबकि जैतून और मछली के तेल भी खाएं, रीफाइन आहार खाने से परहेज करें।
इलाज : अक्सर पित्त में पत्थरी समस्याओं का कारण नहीं बनती और उसे छोड़ दिया जाता है, लेकिन अगर लक्षण हो तो डॉक्टर की सलाह देते हैं ताकि पित्त ही निकाल दें। इस अंग के बिना भी जिगर में बनने वाला द्रव आंतों में जाकर अपना काम करता रहता है।