कहानी “यह भी गुजर जाएगा”

Story
कहानी “यह भी गुजर जाएगा” Story of two friend
हिना आज़मी

दोस्तों आज हम आपको जिन्दगी की सबसे बड़ी सच्चाई से रूबरू करने जा रहे है। यह दो दोस्तों की कहानी (Story of two friend) है। दरवेश और शाकिर की। दरवेश दिन-रात बंदगी करता था।। एक दिन हज के लिए रवाना हुआ। चलते-चलते एक गांव में पहुंचा। उसने एक गांव वाले किसी ऐसे घर के बारे में पूछा जहां पनाह मिल सके। राहगीर ने शाकिर नाम के अमीर का पता बताया। वह उसके घर गया था और उसने उसे ठहराया और आओ भगत की।

जब वहां से चलने लगा तो शाकिर ने रास्ते के लिए भी पैसे दिया। चलते वक्त दरवेश ने कहा शाकिर तुम वाकई बहुत अच्छे हो मेरे लिए इतना कुछ किया जबकि तुम मुझे जानते भी नहीं हो। शाकिर ने अपने मकान की ओर देखा और कहा कि ‘गुजर जाएगा’। दरवेश पूरे रास्ते उसके कहे के बारे में सोचता रहा।

शाकिर ने कहा यह भी “गुजर जाएगा”





हज करने के बाद जब वह लौटने लगा तो सोचा कि एक बार फिर जाकर उससे मिल लूं। जब दरवेश वहां पहुंचा तो देखा कि शाकिर का मकान है ही नहीं पता चला कि अब वह हम दाद के घर में नौकर है। बाढ़ में उसका सब कुछ बह गया इसलिए नौकरी करनी पड़ी। खैर वह शाकिर से मिला।

दरवेश ने कहा तेरे जैसे नेक आदमी की हालत देख बड़ा दुख हुआ। शाकिर ने कहा यह भी “गुजर जाएगा”। 2 साल गुजर गए। दरवेश एक दिन फिर उसी रास्ते  से गुजरा। वह हम दाद के घर गया मालूम हुआ कि उसकी मौत हो गई है और उसने अपना सब कुछ शाकिर को दे दिया है क्योंकि उसकी कोई अपनी औलाद नहीं थी शाकिर फिर अमीर हो गया।



दरवेश अंदर गया और बोला वाह शाकिर खूब रहमत बरसी। शाकिर  ने फिर कहा यह भी गुजर जाएगा। अगली बार कोई दो साल बाद दरवेश उसी रास्ते से गुजरा। उसे मालूम हुआ कि शाकिर मर चुका है। दरवेश कब्र के पास पहुंचा तो देखा कि वहां एक तख्ती पर लिखा हुआ था यह भी गुजर जाएगा।

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