बरेली,तहरीक तहफ्फुज़े सुन्नियत की तरफ़ से बरेली के इस्लामिया कॉलेज ग्राउंड में सुन्नी एंव बरेली कांफ्रेनेस का आयोजन किया गया.इस अवसर पर तारिक फ़तेह एंव तसलीमा नसरीन जैसे इस्लाम के दुशमन लोगों के बयानों की निंदा करते हुए उलमा ने कहा कि इन दोनों को देश से फ़ौरन बाहर निकाला जाये.उलमा ने कहा कि इस्लाम को बदनाम करने के लिए ऐसे लोग इस्लाम की गलत छवि एंव तस्वीर दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.
वहीं सुन्नी एंव बरेलवी कांफ्रेंस में तीन तलाक के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा और रणनीति की मुखालफत भी की ही गई साथ ही इससे निपटने की रणनीति भी बनाई गई। साथ ही इस्लामी कानून में इसे दखल बताते हुए इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच तक ले जाने की तैयारी भी की गयी । मंच से यह भी मैसेज देने की कोशिश हुई कि यह मुद्दा सिर्फ बीजेपी का सियासी खेल है जिसका जवाब हर तरह से दिया जाएगा। इस कांफ्रेंस में न सिर्फ मुस्लिम महिलाओं को चेताया गया बल्कि तलाक क्यों, इस सवाल का जवाब भी समझाया गया।
तीन तलाक पर बीजेपी की केंद्र सरकार के इस एजेंडे का यूं तो पहले से ही विरोध हो रहा है। मुरादाबाद में हुई सुन्नी बरेलवी कांफ्रेंस में भी इस मुद्दे को लेकर सियासत पर हमला बोला गया था। इस बार बरेली के इस्लामियां कालेज के मैदान में भी इस मुद्दे पर सियासी राजनेतिक तीर की काट करते रहे उलमा। नाम लिए बगैर बीजेपी पर सीधे चोट करते हुए इसे नाजायज दखल करार दिया गया। साथ मंच से कहा गया कि इस्लामी कानून में दखल का मुस्लिम महिलाएं भी खूब विरोध कर रही हैं। उलमा ने कहा कि तीन तलाक को मुद्दा बनाकर सरकार मुस्लिम औरतों से हमदर्दी हासिल करना चाहती है। उन्हें यह भी समझाया गया कि ये किसी सज्जादा, मुफ्ती या आलिम की बात नहीं है ये मजहब का फैसला है। अगर औरतें इसके खिलाफ जाती हैं तो इस्लाम की गद्दार हो जाएंगी। दूसरे देशों से आए उलमाओं से भी इस मुद्दे को लेकर रणनीति बनाई गई जिसमें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस फैसले की भर्त्सना की जाएगी। कांफ्रेंस में तीन तलाक क्यों , का जवाब भी दिया गया।
वहा मोजूद मौलाना अख्तर बहेड़वी ने इस मुद्दे पर तलाक की तस्वीर पेश करते हुए कहा इस्लाम में तलाक एक (arrangement)व्यवस्था
के तहत है। यह रास्ता अल्लाह और रसूल ने खोला है जो आसान रास्ता है । जो बंद नहीं हो सकता। हलांकि इसे अच्छा नहीं माना गया है। फिर भी तमाम बुराईयों से बचने के लिए यह व्यवस्था बनाई गई। इसलिए कि अगर पति पत्नी (husband wife) में विवाद हो जाए और दोनों एक दूसरे को बर्दाश्त न कर पा रहे हों तो मर्द को तलाक दे देना चाहिए और औरत को तलाक ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि निकाह के बाद पति पत्नी (husband wife) में निबाह हो जाए। अगर दोनों में विवाद बढ़ जाए और दोनों को एक साथ रहने की गुंजाइश नहीं बचती, हालत बिगड़ जाते हैं। मर्द औरत को जला देता है, साथ ही औरत खुदकशी कर लेती है या फिर औरत किसी का इस्तेमाल कर पति को मरवा भी देती हैं। यह नौबत न आए इसीलिए इस्लाम में तलाक की व्यवस्था की गई है। जो लोगों को खटक रहा है कि मुस्लिमों में न औरत खुदकुशी करती है न मर्द मरता है।