प्राचीन मान्यता है कि शनि देव की कृपा पाने के लिए शनि देव को तेल चढ़ाना चाहिए परन्तु इसके लिए कई कथाएं हैं। लेकिन उनमें प्रचलित गाथा के अनुसार रावण ने एक बार सभी ग्रहों को पराजित कर अपने यहाँ बंधक बना दिया था। शनि देव को भी बंधक बना कर उन्हें उल्टा लटका दिया था। तभी हनुमान जी ने लंका को अपनी पूंछ से लंका में आग लगा दी थी सब ग्रह उस समय भाग गये परन्तु शनि देव उल्टा ही लटके रहे उन्हें अग्नि के कारण बहुत पीढ़ा भी हुआ। हनुमान जी ने बाद में उनकी पीड़ा को शांत करने के लिए सरसों के तेल से उनकी मालिश की थी। तब से ही मान्यता है कि शनि देव को तेल चढ़ाकर उन्हें शांत किया जाता है तथा हनुमान जी की अराधना कर उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।
शनि देव की प्रतिमा को तेल चढ़ाने से पहले तेल में अपना चेहरा अवश्य देखें। ऐसा करने पर शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है। धन सम्बन्धि कार्यों में आ रही रूकावटें दूर हो जाती हैं और सुख समृद्धि बनी रहती है।
पं0 शिप्रा सचदेव