इलाहाबाद । शिक्षक को शिक्षण के लिए शिक्षण अधिगम सामग्री से युक्त होना चाहिए और साथ ही शिक्षण से पूर्व विषयवस्तु को अच्छी तरह से दोहरा लेना चाहिए, अन्यथा व्याख्यान अधूरा रहेगा। उक्त बातें सीमैट में दमन-दीव के नवनियुक्त टीजीटी-पीजीटी शिक्षकों को सेवापूर्व दस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे दिन मुख्य वक्ता डा. एस.के सोनी ने सम्बोधित करते हुए कही।
उन्होंने बताया कि शिक्षक को शिक्षण के लिए शिक्षण अधिगम सामग्री से युक्त होना चाहिए। उन्होंने शिक्षण अधिगम सामग्री में सजीव एवं निर्जीव दोनों प्रकार की सामग्री के उपयोग पर बल दिया। इसी क्रम में डा. कमलेश तिवारी ने अपने व्याख्यान में शिक्षक के मनोवैज्ञानिक स्तर पर चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षक अगली पीघ्ी का मार्गदर्शक होता है। इसके लिए उसे स्वयं मनोवैज्ञानिक रूप से पुष्ट होना चाहिए। जिससे बच्चों के अन्दर जोश भरने में वह सक्षम हो सके। अन्तिम सत्र में पवन सावंत ने व्यक्तित्व विकास के अन्तर्गत एक गतिविधि कराया जिसके अन्तर्गत सभी प्रतिभागियों को दो समूहों में बाँटकर व्यक्तित्व निर्माण से सम्बन्धित एक खेल के माध्यम से नेतृत्व तैयार करने की कला को समझाया।