काशीपुर। तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट जाने वाली सायरा बानो के 18 माह के संघर्ष ने आखिरकार मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को ऊर्जा प्रदान कर ही दी। आत्मसम्मान और समानता की लड़ाई जीतकर बानो ने समाज के समक्ष मिसाल पेश की है। खुशी से गदगद बानो बोलीं, तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने जीवन जीने का अधिकार दे दिया है।
काशीपुर क्षेत्र के रामनगर रोड स्थित हेमपुर डिपो निवासी इकबाल अहमद की पुत्री सायरा बानो का निकाह वर्ष 2002 में बारह बाजार इलाहाबाद निवासी रिजवान अहमद के साथ हुआ था। कुछ दिन तक सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा। इसके बाद परिवार में आए दिन झगड़ा होने लगा। इससे रिजवान पत्नी सायरा के साथ किराये के मकान में अलग रहने लगा। कुछ दिन बाद रिजवान दहेज की मांग करने लगा और दहेज न मिलने पर सायरा को प्रताड़ित करने लगा। आए दिन मारपीट करना उसने आदत बना ली। जान से मारने की नीयत से कई बार गला भी दबाया था। इससे आजिज आकर सायरा बानो मायके चली आई। सायरा का 14 वर्षीय पुत्र इरफान और 12 वर्षीय पुत्री उमेरा पति के पास ही है। सायरा ने यहां काशीपुर फैमिली कोर्ट में अधिवक्ता गोपाल राव के जरिये वर्ष 2015 में प्रार्थना पत्र देकर बच्चों के भरण पोषण खर्च का दावा किया।
दावा करने से गुस्साए पति रिजवान ने तीन तलाक लिखकर पत्र को डाक के जरिये ससुराल भिजवा दिया। बस, यहीं से तीन तलाक के खिलाफ सायरा ने जंग छेड़ दी और संकल्प लिया कि अपने लिए ही नहीं, बल्कि मुस्लिम महिलाओं को वे इससे निजात दिलाने के लिए संघर्ष करेंगी। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल राव से मिलकर इस मामले में लंबा मंथन किया और अंत में राव ने सायरा को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए भेज दिया। 20 फरवरी 2016 को सायरा ने सुप्रीम कोर्ट में तलाक के खिलाफ याचिका दायर कर दी। एक मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने फैमिली कोर्ट में तारीख के दिन रिजवान को बच्चों को साथ लेकर उपस्थित होने का आदेश दिया। जिससे बच्चे मां से मिल सकें। फैमिली कोर्ट में करीब 10 तारीखें पड़ीं, मगर रिजवान न तो खुद आया और न ही बच्चे भेजे।
रिजवान के ऊपर 60 हजार 200 रुपये बच्चों के मेंटिनेंस खर्च का बकाया हो गया है। इसके लिए अधिवक्ता राव ने रिजवान को मेंटिनेंस खर्च देने को चार पांच समन भेजे। इस मामले की अगली तारीख अब 10 अक्टूबर पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट में इस साल मई में तीन तलाक पर एक सप्ताह सुनवाई हुई और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। मंगलवार को तीन तलाक पर कोर्ट ने फैसला सुनाकर छह माह तक तीन तलाक पर रोक लगा दी और छह माह में केंद्र सरकार को सख्त कानून बनाने के निर्देश दिए हैं। इस फैसले को सुनने सायरा अपने भाई मोहम्मद शकील और मोहम्मद अरशद के साथ दिल्ली में हैं।
सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद सायरा ने अपने पिता के मानपुर रोड प्रभुविहार कालोनी स्थित निवास पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि उनकी लड़ाई जीत में बदली है। कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है। ये एक एतिहासिक फैसला है। आज का दिन मुस्लिम महिलाओं के आत्मसम्मान और समानता का अधिकार मिलने का एतिहासिक दिन है, जो हमेशा याद किया जाएगा। बानो ने कहा कि कोर्ट ने सरकार को छह माह में कानून बनाने को कहा है। इस फैसले से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के उत्पीडन से बच सकेंगी। इससे महिलाओं की स्थिति में सुधार आएगा।