Tower Heart Procedure Techniques
- देश दुनिया के चुनिंदा नामचीन मैडिकल कॉलेजों में ही टावर तकनीक उपलब्ध
- टावर हार्ट पेशेंट के उपचार की विश्वविख्यात अत्याधुनिक हार्ट प्रोसीजर तकनीकों में से एक
- महंत इन्दिरेश अस्पताल में 4 महीनें में 12 से अधिक टावर प्रोसीजर हुए
देहरादून। Tower Heart Procedure Techniques श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने एक दिन में दो अलग अलग मरीजों के दो टावर प्रोसीजर कर विशेष उपलब्धि हासिल की। विशेष उपलब्धि इसलिए क्योंकि टावर हार्ट पेशेंट के उपचार की विश्वविख्यात अत्याधुनिक हार्ट प्रोसीजर तकनीकों में से एक है।
देश दुनिया के चुनिंदा नामचीन मैडिकल कॉलेजों में ही टावर तकनीक का इस्तेमाल कर उपचार किया जा रहा है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल उन चुनिंदा नामचीन अस्पतालों की सूची में शामिल है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में विगत 4 महीनें में दर्जन भर टावर प्रोसीजर हो चुके हैं।
वरिष्ठ कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ सलिल गर्ग, डॉयरेक्टर कार्डियक साइंसेज़ श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने मॉर्डन कॉडियोलॉजी से जुड़ी महत्वपूर्णं जानकारियां सांझा की। उन्हें दी कि अपने 25 सालों का कॉडियोलॉजी सेवाओं का अनुभव है। वह ए.एफ.एम.सी. अस्पताल, आर.आर.अस्पताल दिल्ली, कमाण्ड हास्पिटल (के.जी.एम.यू.) लखनऊ में विभिन्न वरिष्ठ पदों पर सेवाएं दे चुके हैं।
कैथ लैब में टावर व अन्य महत्चपूर्ण प्रोसीजर श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में सफलतापूर्वक किए जा रहे हैं। यही कारण है कि हार्ट पेशंेट अत्याधुनिक हार्ट प्रोसीजर के लिए उत्तर भारत एवम् अन्य राज्यों से श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में पहुंच रहे हैं। इससे श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल हाई वोल्यूम सेंटर के रूप में स्थापित हो रहा है।
कॉर्डियोलॉजी एवम् सीटीवीएस विभाग के डॉक्टरों एवम् तकनीक एवम् बेहतर समन्वय से अति गम्भीर ह्दय रोगियों को एक छत के नीचे सम्पूर्ण उपचार मिल रहा है। टावर तकनीक ने कॉर्डियोलॉजिस्टों के लिए हार्ट उपचार को काफी सुगम दिया है। सीजीएचएस, ईसीएचएस, गोल्डन कार्ड एवम् ईएसआई के अन्तर्गत टावर तकनीक के उपचार की सुविधा उपलब्ध है।
इन योजनओं के लाभार्थी श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में टावर तकनीक का लाभ ले रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि टावर तकनीक के द्वारा बिना चीरा लगाया वाल्व बदल दिया जाता है। इस प्रोसीजर में 4 दिन के अंदर ही मरीज़ को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इस तकनीक से पूर्व वाल्व बदलने के लिए चीरा लगाकर प्रोसीजर किया जाता था।
मरीज को 15 दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती रहना होता था। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की ओपीडी व भविष्य में मरीजों की सुख सुविधाओं को ध्यान में रखकर मॉर्डन ओपीडी तैयार करने का काम प्रगतिशील है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कॉर्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ साहिल महाजन ने जानकारी दी कि टावर (टांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट) हार्ट पेशेंट का एडवांस इलाज है।
ऐसे ह्दय रोगी टावर तकनीक उनके लिए संजीवनी है। टावर तकनीक के द्वारा बिना ओपन हार्ट किए वाल्व रिप्लेसमेंट कर दिया जाता है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कॉर्डियोलॉजी विभाग में 2 अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कैथ लैब व कुशल कॉर्डियोलॉजिस्ट की कुशल टीम भी उपलब्ध है।
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