कानपुर । बाघा बार्डर से देर रात एक फोन आते ही जनपद से करीब पचास किलोमीटर दूर मोहम्मदपुर गांव में खुशी का ठिकाना न रहा। हो भी क्यों न यहां के तीन मछुआरे पाकिस्तान की जेल में सवा साल बंद होने के बाद घर आ रहे हैं। परिजनों का कहना है कि नये साल की यह खुशखबरी को हम कभी नहीं भुला पाएंगे। बताते चलें कि घाटमपुर के भीतरगांव विकास खण्ड के मोहम्मदपुर गांव के संजय कुरील, रविशंकर गौड़ व जयचंद्र गौड करीब सवा साल पहले गुजरात में मजदूरी करने गये थे। वहां के ओखा समुद्री तट के जखऊ बंदरगाह पर अपने साथियों के साथ 15 अक्टूबर 2015 को मछली पकड़ रहे थे तभी गलती से पाकिस्तान की जलीय सीमा में जा पहुंचे। पाकिस्तानी नौसेना के जवानों ने करीब चार दर्जन मछुआरों के साथ कानपुर के इन तीन युवकों को भी पकड़कर जेल में डाल दिया।
इनके परिजनों ने जिला प्रशासन से लेकर विदेश मंत्रालय तक गुहार लगाई। विदेश मंत्रालय की पहल पर पाकिस्तान ने रविवार को 200 मछुआरों को रिहा कर दिया और ये सभी बाघा बार्डर आ गये। इसमें कानपुर के ये तीनों मछुआरे भी शामिल है। संजय के पिता के मुताबिक बेटे ने किसी दूसरे के मोबाइल से फोन करके बताया कि तीनों लोग पाकिस्तान की जेल से रिहा हो गये हैं और 30 या 31 दिसम्बर तक घर आ जाएंगे। यह बात सुनकर पिता ने अपने बेटे के दोनों साथियों के परिजनों को दी और गांव में खुशी से मिठाइयां बंटने लगी। रविशंकर के भाई को इस बात की खुशी है कि नया साल का जश्न अपने बिछुडेघ् भाई के साथ मनाएंगे। हालांकि जिला प्रशासन ने तीनों कैदियों के छूटने की बात पर कोई अधिकारिक बयान नहीं दिया है।