लीडर का काम सभी को एकजुट करना : मोहित रैना

TV actor Mohit raina
लीडर का काम सभी को एकजुट करना : tv actor mohit raina

“देवों के देव महादेव” में महादेव की भूमिका अदा करने वाले मोहित रैना छोटे पर्दे के बड़े अभिनेता बन चुके हैं। जम्मू में जन्मे TV actor Mohit raina बचपन से ही बहुत शरारती थे। दोस्तों, आज हम बताने जा रहे हैं कुछ उनकी खट्टी मीठी यादें जो उनके बचपन से जुड़ी हैं।

TV actor Mohit raina बताते हैं

बचपन में शरारतों के चक्कर में मेरी काफी पिटाई होती थी। टायरों की हवा निकाल कर उससे आने वाली आवाज सुनने में मुझे बहुत मजा आता था। इस चक्कर में कई बार अपनी साइकिल के टायर की हवा निकाल देता था और उसकी आवाज सुनता था।

मेरे पिताजी डॉक्टर थे, शायद इसी वजह से ऑक्सीजन सिलेंडर की आवाज सुनी थी, जो मुझे भा गई। वैसे स्कूल में मैं काफी एक्टिव स्टूडेंट था। खेलकूद में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता था। फुटबॉल खेलता था, पढ़ाई में भूगोल और संस्कृत मेरे पल्ले नहीं पड़ती थी, गणित में बहुत अच्छा था।




मुझे याद है कि जब मैं पहली बार क्लास मॉनिटर बनाया गया था, तो उस समय लगा था कि मैं देश के राष्ट्रपति से कम नहीं हूं। क्लास के बच्चे सिर्फ मेरा आदेश मानेंगे, मेरा रुतबा होगा, शरारती बच्चों को मैं सुधार दूंगा। मुझ में थोड़ा गुरूर आ गया था। यहां तक कि अपने दोस्तों को भी यह कह दिया था कि दोस्ती अपनी जगह है, पर मॉनिटर का लिहाज करें ,क्लास में मुझसे बात ना करें।

आपकी एकजुटता ही आपकी ताकत

तब मेरी टीचर मालविका खरे ने मुझे पावर का सही अर्थ समझाया था। बताया था कि पावर मिलने के साथ जिम्मेदारियां भी आती हैं। लीडर का अर्थ सब पर चीखना-चिल्लाना, लड़ाई झगड़ा करना नहीं होता, लीडर का काम सभी को एकजुट करना है। आपकी एकजुटता ही आपकी ताकत होगी। आपकी एनर्जी का प्रयोग उसमें करें तभी किसी मुद्दे के खिलाफ मजबूती से खड़े हो पाएंगे।

हमारे यहां “कैमट इंडिया ट्रेनिंग” होती थी कैमट यानी” सेंटर एंड आर्ट मार्शल ट्रेनिंग अकैडमी ऑफ इंडिया”। एक लड़का मेरे साथ का था जो मुझसे लंबा था। उसकी और मेरी फाइट होती थी तो उसकी लात मेरे सर के ऊपर तक पहुंच जाती थी। मैं अपनी लात को उसके चेहरे पर लाने की जीतोड़ कोशिश करता था।



जब भी हमारी फाइट होती थी, वह अपना पैर उठाकर मार देता था और वहीं पर मेरा काम तमाम हो जाता था। बाकी सबसे मैं जीत जाता था, बस उसी से पिछड़ जाता था। उससे जीतने का सपना पूरा नहीं हो पाया, वह अधूरा ही रह गया। बचपन की यादों को मैं कभी नहीं भुला सकता। तो दोस्तों आपने देखा कि हमारे महादेव जितने सीरियस दिखते हैं उतने ही नटखट थे। ये डेशिंग हीरो भी कभी पिटता था।

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