दून विश्वविद्यालय की भर्तियों पर यूकेडी ने उठाए सवाल

UKD raised questions on recruitment of Doon University
पत्रकार वार्ता के दौरान यूकेडी नेता।


UKD raised questions on recruitment of Doon University

मुख्यमंत्री, राज्यपाल और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर की जांच की मांग
कार्यवाही ना होने पर हाई कोर्ट जाने की चेतावनी दी

देहरादून। UKD raised questions on recruitment of Doon University उत्तराखंड क्रांति दल ने दून विश्वविद्यालय मे चल रही भर्ती प्रक्रिया पर धांधली के आरोप लगाते हुए कुछ सवाल खड़े किए हैं। उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने राज्यपाल मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिख कर पूछा है कि विश्वविद्यालय द्वारा नॉन टीचिंग की भर्ती शुरू की गई है, जबकि इस हेतु क्या विश्वविद्यालय की कोई सेवा नियमावली अनुमोदित नही है।

यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने कुलपति और कुलसचिव के खिलाफ जांच की मांग करते हुए कहा है कि दोषियों पर कार्यवाही नहीं हुई तो यूकेडी हाईकोर्ट की शरण में जाएगा। यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में जनसंपर्क अधिकारी के लिए निकाली गई विज्ञप्ति पूर्ण रूप से फर्जी है।

न आयु सीमा का जिक्र है न अनुभव का जिक्र। जबकि राज्य सरकार के दूसरे विवि श्री देव सुमन मे भी पीआरओ का विज्ञापन निकला था। दोनो की तुलना से पता चलता है एक राज्य के दो सरकारी विवि कैसे अलग अलग योग्यता जारी कर रहे हैं।

यूकेडी ने सवाल उठाए कि दून विवि के पीआरओ पद की स्क्रीनिंग  मे किस मंत्री के पीए का चयन करने की तैयारी है ये विवि बताये ! सेमवाल ने पूछा है कि यदि सेवा नियमावली अनुमोदित नहीं है और शासन के आदेशों के अनुसार पदों की योग्यता एवम वेतन निर्धारित किया गया है तो विज्ञप्ति के एक महीने बाद कुछ पदों की शैक्षिक योग्यता में बदलाव क्यों किया गया ! जबकि इसके लिए कोई शुद्धि पत्र भी जारी नहीं किया गया।

उपनल से कार्यरत कर्मचारी बाहर कर बेरोजगार कर दिए जाएंगे

यूकेडी ने पूछा है कि विश्वविद्यालय में उपनल से कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनका मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा भर्ती खोलने के पीछे क्या कारण हैं। उन्होंने अंदेशा जताया है कि नियमित नियुक्ति होने के पश्चात वर्तमान में उपनल से कार्यरत कर्मचारी बाहर कर बेरोजगार कर दिए जाएंगे।

क्या यहीं प्रदेश सरकार की रोजगार नीति है?यूकेडी नेता सेमवाल ने पूछा है कि भर्ती प्रक्रिया निजी संस्था के हवाले करनी कितना सही है, जबकि विश्वविद्यालय खुद भर्ती प्रकिया सम्पन करा सकता है। प्रदेश में भी सरकारी भर्ती एजेंसी यूकेएसएससी , यूबीटीआर, तकनीकी विश्वविद्यालय हैं, फिर निजी संस्था को वरीयता क्यों दी गयी।

क्या विश्वविद्यालय को यह लगता है कि यह भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से सम्पन होगी जबकि आज हर सरकारी विभाग राजनीतिक दबाव के आगे बेवश नजर आता है।सेमवाल ने मांग की है कि इस भर्ती को तत्काल निरस्त कर विवि पर जांच बैठाई जाय और सम्बंधित कर्मचारियों पर कार्यवाही की जाय।

विश्वविद्यालय में पिछले कई वर्षों से कर्मचारी संविदा पर तैनात हैं। नियमित भर्ती होने पर ये लगभग सभी बाहर कर दिए जाएंगे। चूंकि ये लोग शुरू से कार्यरत हैं और विश्वविद्यालय के कार्य को करने में कुशल हैं। ऐसे में क्या नए आने वाले कर्मचारी तत्काल विश्वविद्यालय को संभाल पाएंगे ? और क्या विश्वविद्यालय द्वारा पुराने कर्मचारियों के बारे में कुछ सोचा गया है या उन्हें सीधे बाहर कर दिया जाएगा।

यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके हक में आता है तो भर्ती होने के बाद विश्वविद्यालय क्या करेगा। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यूकेडी नेता अवतार सिंह बिष्ट, धर्मवीर सिंह गुसाईं, वीरेंद्र सिंह रावत, राजेश्वरी रावत, सीमा रावत, शकुंतला रावत आदि शामिल थे।

जरा इसे भी पढ़े

नवम्बर तक केंद्र पोषित योजनाओं को शत प्रतिशत पूर्ण करें : डीएम
महिला स्वयं सहायता समूहों को मजबूती दी जाएगी : मुख्यमंत्री
आशा कार्यकर्ताओं को सीएम आवास कूच, पुलिस से नोक-झोंक