भूमाफिया के खिलाफ मुखर यूकेडी, हाईकोर्ट जाने की चेतावनी 

UKD vocal against land mafia
प्रेस वार्ता के दौरान यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल।

UKD vocal against land mafia

हाईकोर्ट जाने की चेतावनी

देहरादून। UKD vocal against land mafia उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने देहरादून में सरकारी संपत्तियों को खुर्द बुर्द कर रहे भू माफिया के खिलाफ सरकार से स्वतंत्र जांच आयोग बना कर कार्यवाही करने की मांग की है और ऐसे ना होने पर हाई कोर्ट जाने की चेतावनी दी है।

यूकेडी के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने देहरादून के रिंग रोड की सरकारी जमीनों का उदाहरण देते हुए बताया कि नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से भू-माफिया लगभग 350 बीघा सरकारी जमीन को खुर्दबुर्द कर रहा है लेकिन कोई भी कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।

उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए शिव प्रसाद सेमवाल ने बताया कि खुद भारतीय जनता पार्टी ने अपने कार्यालय के लिए वर्ष 2011 में लगभग 3 करोड़ रुपए में जमीन खरीदी थी। इस जमीन का आज तक भी म्यूटेशन नहीं हो पाया है क्योंकि यह साडे 350 बीघा जमीन चाय बागान की भूमि है और इसकी रजिस्ट्री नहीं हो सकती तथा लैंड यूज भी चेंज नहीं हो सकता।

सेमवाल ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और लैंड एक्ट का हवाला देते हुए बताया कि 10 अक्टूबर 1975 की डेडलाइन के बाद इस जमीन पर होने वाली रजिस्ट्री स्वतः जीरो हो जाएगी और सरकार में वह जमीन निहित हो जाएगी। इसके अलावा एमडीडीए के मास्टर प्लान में फुटबॉल ग्राउंड के लिए आरक्षित एक बड़े भूभाग को भी भूमाफिया ने कब्जा लिया है।

व्यापक जन आंदोलन शुरू किया जाएगा : Shiv Prasad Semwal

शिव प्रसाद सेमवाल ने इस पूरे खेल में पटवारी से लेकर पूरा जिला प्रशासन की मिलीभगत का आरोप लगाया। सेमवाल ने कहा कि यदि एक सप्ताह के अंदर इस भूमि की जांच के लिए कोई स्वतंत्र जांच कमेटी नहीं बनती तो फिर वह उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे|

साथ ही इस मुद्दे को जनता के बीच लेकर जाएंगे तथा व्यापक जन आंदोलन शुरू किया जाएगा। ताकि बची खुची जमीनों को भू माफिया के हाथों से बचाया जा सके। गौरतलब है कि तत्कालीन भू स्वामी कुंवर चंद्र बहादुर सिंह ने सीलिंग से बचने के लिए इस पूरी जमीन को चाय बागान घोषित कर दिया था।

कुंवर चंद्र बहादुर सिंह की कोई संतान नहीं थी लेकिन वर्ष 2001 में कुमारी पदमा कुमारी ने खुद को कुंवर चंद्र बहादुर सिंह का वारिश बताते हुए यह पूरी जमीन अपने नाम करा ली थी। तब से इस जमीन की रजिस्ट्री लगातार जारी है ।

यह सारी रजिस्ट्री या अवैध है और रजिस्ट्री होते ही यह जमीन स्वतः ही सरकार में निहित हो जाएगी। किंतु सब देखते बुझते हुए भी शासन प्रशासन इस पर चुप्पी साधे हुए है। यदि उत्तराखंड क्रांति दल इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करता है तो फिर इस पूरे प्रकरण में शामिल अधिकारियों के समक्ष परेशानी खड़ी हो सकती है|

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