उत्तराखंड पर 16 साल में 45 हजार करोड़ का कर्ज,
विकास के नाम पर चंद नेताओं की चांदी
खननव लकड़ी माफिया खोखला कर रहे देवभूमि को
इस तरह बढ़ा कर्ज
2000 01 3377 करोड़
2001 02 4204 करोड़
2002 03 5343 करोड़
2003 04 7388 करोड़
2004 05 9 066 करोड़
2005 06 10675 करोड़
2006 07 11754 करोड़
2007 08 13033 करोड़
2008 09 14753 करोड़
2009 10 17028 करोड़
2010 11 19806 करोड़
2011 12 21752 करोड़
2012 13 23518 करोड़
2013 14 26397 करोड़
2014 15 30498 करोड़
देहरादून । देवभूमि उत्तराखंड के गठन के लिए जान की कुर्बानी देने वालों ने शायद यह नहीं सोचा था कि राज्य गठन के बाद स्वार्थी नेता राज्य को उत्तराखंड में डूबो देंगे। देवभूमि में जन्म लेने वाला शिशु आंख खालते ही कर्जदार होगा। विकास के नाम पर मुट्ठी भर चंद नेता और उनके खानदानी चांदी काटेंगे और की जवानी पलायन को विवश होगी। विकास के नाम पर उत्तराखंड में मुट्ठी भर नेताओं का ही विकास हुआ है।
रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, पेयजल जैसी मूलभूत सुविधएं तक यहां की सरकारें नहीं दे पा रही हैं। नई सरकार से उत्तराखंडी के निवासियों को उम्मीदें हैं, लेकिन जैसा कि सत्ता संभालने वाला दल पूर्ववर्ती सरकार पर जाना खाली करने का आरोप लगता है वहीं भाजपा सरकार कर रही है। पूर्व की हरीश रावत सरकार पर प्रदेश को कर्ज के बोझ तल दबाने का आरोप लगाया जा रहा है। उत्तराखंड राज्य के गठन में सत्ता की मलाई खाने वालों का शायद कोई योगदान नहीं रहा है। आम आदमी ने अलग राज्य के गठन के लिए कुर्बानी दी, लेकिन अलग राज्य की मांग करने वालों के सपनों का राज्य नहीं बन पाया। उत्तराखंड के दो प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा 16 साल से सत्ता की मलाई खाते आ रहे हैं। अलग राज्य के लिए संघर्ष करने वाला उत्तराखंड उत्तराखंड क्रांति दल राज्य में अपना जनाधर नहीं बना सका। राज्य गठन के बाद जिस तरह से ऽर्च बढ़े उस लिहाज से आय के स्रोत नहीं बन सके।
सत्ता का सुख भोगने वालों ने जमकर नदियों और पहाड़ को खाला करने का काम किया। आम आदमी का विकास करने के बजाये अपना और अपनों का विकास किया। लिहाजा प्रदेश कर्ज के बोझ में दबता चला गया। अपने वजूद में आने के 16 साल में उत्तराखंड ने किसी मामले में तरक्की भले न की हो, लेकिन उत्तराऽंड की आवाम को कर्जदार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज उत्तराखंड का बच्चा बच्चा कर्जदार है। उत्तराखंड पर 45 हजार करोड़ का कर्ज हो गया है। वित्त मंत्राी प्रकाश पंत सीमित संसाध्नों वाले राज्य में कर्ज के मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर कर रहे हैं। सत्ताधरी भाजपा इस कर्ज के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है, वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत का दावा है कि कर्ज बढने के साथ ही सूबे की जीडीपी भी बढ़ी है। राज्य गठन के बाद पहले वित्तीय वर्ष में 3377 करोड़ का कर्ज था। साल दर साल यह कर्ज बढ़ रहा है।