जानिए कैसे हुई वेदों की स्थापना Ved Puran
Ved Puran आर्यों के आगमन से पहले भारत मे किसी भी प्रकार का लिखित साहित्य उपलब्ध नहीं था| यह साहित्य अपूर्ण या पूर्ण रूप से सप्तसिंधु देश के इन आर्य निवासियों के पास ही लिखित या अलिखित धरोहरों के रूप में संरक्षित था। बताया गया है कि वेदों की रचना किसी एक काल या किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं की गई है, बल्कि विभिन्न काल में देवताओं एवं ऋषि मुनियों के मुख से मानव एवं सृष्टि कल्याण के लिए जो मंत्र या सूक्ति निकले।
उन्हें पीढ़ी-दर-पीढ़ी कंठस्थ किया जाता था। आर्य ने ही इन मंत्रों को सबसे पहले कंठस्थ किया था और तब इनके द्वारा भारत भूमि पर आकर वेदों के रूप में लिखित रूप में स्थापित कर दिया गया। इन आर्य जातियों में जो देवी- देवताओं के उपासक थे, उन्होंने उन अलिखित धरोहरों को साहित्य का रूप दिया, जो कालांतर में वैदिक साहित्य कहलाया।
Ved शब्द संस्कृत की “विद” धातु से बना है
सृष्टि रचना के बाद प्रथम बार लिखित साहित्य नाम की चीज का भारत में प्रादुर्भाव हुआ। आर्यों की संस्कृति एवं सभ्यता का ज्ञान आर्यों द्वारा रचित वेदों से प्राप्त होता है। वेद शब्द संस्कृत की “विद” धातु से बना है, जिसका मतलब है जानना या ज्ञान प्राप्त करना। भारत आगमन के बादजब आर्यों का अनार्यों से संपर्क हुआ, तब दोनों जातियों के धर्म और संस्कृति में बहुत अंतर था।
आर्य लोग द्रविड़ अनार्यों को देवताओं को अपवित्र करने वाले, यज्ञ ना करने वाले, दुष्कर्म करने वाले कर्म हीन आदि अनेक विशेषणों से प्रचारित करने लगे थे। इस पृष्ठभूमि में उन्हें यहलगता था कि कहीं उनका आर्यधर्म जिसे हिंदू धर्म कहा जाता है, भारत के अनार्यों तत्वों के मिश्रण से अपवित्र ना हो जाए| इसलिए अपनी धार्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं को सुरक्षित सुव्यवस्थित और पवित्र रखने के लिए उन्होंने अपनी तमाम लिखित रचनाओं एवं अपने समस्त ज्ञान को चार वेदों में समाविष्ट कर दिया, जिनमें सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद है।