Vikas dubey kanpur kand
यह कैसा रामराज्य जहां पुलिकर्मी भी महफूज नही
योगी सरकार में 3599 एनकाउंटरों में 73 अपराधी हुए ढेर
13 पुलिसकर्मी शहीद, 8 हजार से ज्यादा गिरफ्तार
देहरादून। Vikas dubey kanpur kand उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में आतंकियों की गोलियों का शिकार हो कर शहीद हुए 9 पुलिसकर्मी की मौत के लिये विकास दुबे के साथ-साथ पुलिस विभाग के वह लोग भी जिम्मेदार है, जिन्होने विकास दुबे तक पुलिस के आने की खबर पहुंचाई।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का रामराज का अलाप ‘जुमला’ साबित हो चुका है। सवाल उठ रहे है ‘ऑपरेशन क्लीन’ के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस ने 3,599 एनकाउंटर किये, जिनमें 73 अपराधी ढेर हुए हैं, मगर 60 मुकदमों का आरोपी विकास दुबे बचा रहा, पुलिस उसके गावं गई तो विकास के गुर्गो ने 9 पुलिस कर्मीयों को शहीद कर दिया।
सवाल उत्तर प्रदेश सरकार व पुलिस विभाग से पुछा जाएगा की अब तक विकास दुबे के मामलें में आंखे क्यों बंद रखी। विभाग का कोन -कोन आदमी विकास के लिये काम कर रहा था? क्यां पुलिस इतनी लाचार व बेबस थी की 60 मुकदमें होने के बाद भी विकास दुबे पर हाथ डालने से कतराती रही?
कानपुर देहात ( Vikas dubey kanpur kand ) में हुए पुलिस टीम पर हमले की योजना इतनी सुनियोजित थी कि पुलिस के गांव में पहुंचने से पहले ही पूरे गांव की स्ट्रीट लाइटें बंद कर दी गई। जिसके चलते अंधेरे में पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया।
विकास दुबे के कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड निकलवा
पुलिसकर्मी अंधेरे के चलते भाग नहीं पाए और बदमाशों ने उन्हें घेरकर बर्बरता से मार डाला। एसआईटी ने विकास दुबे के कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड निकलवाए, जिसमें कई पुलिसवालों के नंबर निकले हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन पुलिसवालों में एक नाम चौबेपुर थाने के दरोगा का भी है, जिसने विकास को रेड की सूचना पहले ही दे दी थी। ओर उसके बाद ही घात लगाकर हमला किया गया।
साफ है कि योजनाबद्ध तरीके से 9 पुलिसकर्मियों की हत्या की गयी है यह घटना दिख रही है कि तथाकथित रामराज्य में अपराधियों के हौसले बुलंद है। घटनास्थल पर हालात की भयावहता को इसी बात से समझा जा सकता है कि बिकरु गांव में इस मुठभेड़ के मास्टरमाइंड विकास दुबे के घर के आसपास सड़कों पर खून बिखरा हुआ था।
आसपास के घर विकास दुबे ( Vikas dubey) के रिश्तेदारों के घर हैं, जहां से फायरिंग हुई। जांच में पता चला है कि जब अतंकियों ने अंधेरे का फायदा उठाकर पुलिस टीम पर चारों तरफ से हमला कर दिया तो पुलिसकर्मी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागे।
पुलिस टीम का नेतृत्व कर रहे सीओ देवेंद्र मिश्र इस दौरान दीवार फांदकर बगल के घर में जा छिपे। दुर्भाग्य से यह घर विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडेय का था। कुछ बदमाश सीओ के पीछे पीछे उस घर में घुसे और सीओ को पकड़कर उनका सिर दीवार से सटाकर गोली मार दी।
इतना ही नहीं इसके बाद उनके शव को घसीटकर घर के बाहर लाया गया और उनके पैर को कुल्हाड़ी से काट दिया गया। वहीं सीओ के साथ घर में घुसे चार सिपाहियों को भी बदमाशों ने सीओ के सामने ही गोली मार दी थी।
सीओ का शव विकास के मामा के घर में मिला
एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार, आंतकी पुलिसकर्मियों को मारकर उनके शव जलाने के प्रयास में थे। यही वजह थी कि उन्होने ने पुलिसकर्मियों के शव एक जगह एक के ऊपर एक रखे हुए थे।
पुलिस की गाडि़यों को भी फूंकने की तैयारी थी लेकिन तभी वहां मौके पर भारी पुलिस बल पहुंच गया और आंतकियों को वहां से भागना पड़ा। मौके पर जब भारी पुलिस बल पहुंचा तो पुलिसकर्मियों की खोजबीन शुरू हुई।
सभी घायलों और शवों को अस्पताल भेजा गया लेकिन तब तक सीओ और एसओ के बारे में कुछ पता नहीं चल सका था। इसके बाद जब खोजबीन की गई तो सीओ का शव विकास के मामा के घर में मिला।
वहीं एसओ का शव सड़क किनारे बने एक बाथरूम में पाया गया। इन हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि इन 9 पुलिसकर्मियों की हत्या सुंयोजित ठंग से की गई है। वही योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान अब तक उत्तर प्रदेश में 3,599 एनकाउंटर हुए हैं।
इस सरकार में हुए अब तक के एनकाउंटर में 73 अपराधी ढेर हुए हैं, जबकि 4 पुलिसकर्मी शहीद हुए। इस दौरान पुलिस ने 8,251 अपराधी गिरफ्तार किए गए। इसके अलावा मुठभेड़ में 1059 अपराधी घायल हुए।
आंकड़ों के मुताबिक, पुलिस मुठभेड़ में 1 लाख के 3 और 50 हजार के 28 इनामी अपराधी मारे गए। यूपी पुलिस के ऑपरेशन क्लीन के खौफ से कुल 13,866 अपराधी अपनी जमानत निरस्त कराकर जेल चले गए- 13,602 आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई।
इतना ही नहीं गैंगस्टर आरोपियों की 67 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई। 55 आरोपियों के खिलाफ रासुका, 1,391 के खिलाफ गैंगस्टर, 15,629 के खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई हुई। मगर योगी राज में विकास दुबे बचा रहा।
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