क्षेत्र में मामला चर्चा का विषय बन गया है
चम्पावत। चम्पावत के डुंगरासेठी गांव में एक मीटर जमीन के लिए 125 ग्रामीणों ने एक परिवार के साथ हुक्का पानी बंद कर दिया। जिस ग्रामीण का गांव वालो ने बहिष्कार किया है, उसकी जमीन सड़क में आ रही थी। लेकिन ग्रामीण ने इसे देने से इंकार कर दिया था। हालांकि इस जमीन के कारण सड़क निर्माण की बाधा का तोड़ प्रशासनिक ने निकाल लिया है। क्षेत्र में मामला चर्चा का विषय बन गया है।
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डुंगरासेठी तक पहुंचने के लिए लोगों को मुख्य सड़क से सात किमी का पैदल चलना पड़ता है। गांव के बीच से सड़क काटने पर यह दूरी महज एक किमी हो जाती। लिहाजा ग्रामीणों ने सामूहिक प्रयास से सड़क काटने का काम शुरू किया था। एक माह पूर्व ग्रामीणों की रजाबंदी से लोगों ने गांव के बीचों बीच नाप भूमि में सड़क कटान कार्य शुरू किया। ग्रामीणों के मुताबिक गांव के अशोक चौधरी की जमीन का एक मीटर हिस्सा कटान की जद में आया तो वह सड़क निर्माण पर कोर्ट से स्टे ले आया। कोशिशों के बाद हल नहीं निकला, तो सोमवार रात ग्रामीणों ने बैठककर अशोक के सामाजिक बहिष्कार का निर्णय लिया।
125 परिवारों ने 100 नाली भूमि नि:शुल्क देने का फैसला किया था
गांव में सड़क निर्माण के लिए सभी 125 परिवारों ने 100 नाली भूमि नि:शुल्क देने का फैसला किया था। जिला पंचायत सदस्य गोविंद सामंत के मुताबिक गांव में रह रहे 125 परिवारों ने लिखित रूप में अशोक चौधरी से सारे संबंध तोड़ने और हुक्का पानी बंद करने का निर्णय लिया। सामाजिक बहिष्कार के ऐलान के दूसरे ही दिन इसका असर हो गया। गांव के एक व्यक्ति के घर में बुधवार को यज्ञोपवीत संस्कार होना है, इस कार्यक्रम में अशोक चौधरी के परिवार को नहीं बुलाया गया है।
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ग्रामीण अशोक चौधरी का कहना है कि गांव के चार लोगों के कहने पर सामाजिक बहिष्कार नहीं होता। गांव में मेरे भी शुभचिंतक हैं। मैंने सड़क निर्माण में कभी आपत्ति नहीं जताई, बल्कि पहले भी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में साढ़े आठ नाली भूमि सरकार को दी है। अगर ये लोग मुझे बदनाम करने की साजिश करेंगे तो मैं इनके खिलाफ अदालत जाऊंगा।
एसडीएम सदर सीमा विश्वकर्मा का कहना है कि ग्रामीणों ने एक व्यक्ति के खिलाफ सड़क निर्माण में बाधा पहुंचाने की शिकायत की थी, निरीक्षण में पाया गया कि सड़क निर्माण के एक हिस्से में अशोक चैधरी की जमीन का कुछ हिस्सा आ रहा है, जिसे चिह्नित कर सड़क को दूसरी जगह से ले जाने का निर्णय लिया गया है। सामाजिक बहिष्कार का मामला ग्रामीणों के बीच का है।