हरदा का बागियों पर तंज, कहा मेरे संन्यास का 2024 तक करे इंतिजार

Wait for my retirement till 2024

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कैबिनेट सुबोध उनियाल पर साध निशाना
तंजः बच्चे गिना रहे चुनावी हार का अंकगणित
मैं संन्यास लूंगा, अवश्य लूंगा मगर 2024 मेंः Harish rawat

देहरादून। Wait for my retirement till 2024 उत्तराखण्ड में कांग्रे्रस छोड़ भाजपा में गये बागियों को लेकर भाजपा-कांग्रेस व प्रीतम-हरदा में चल रही जुबानी जंग तेज होती जा रही हैं। एक और जहां पूर्व सीएम व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर है, तो वही उन्हे भाजपा व बागियों के बाणों की बोछारों का भी सामना करना पड़ रहा है।

सोमवार को हरदा ( Harish rawat ) ने अपनी फेसबुक वाॅल पर बागियों और पार्टी के विरोधी धड़े पर तंज कसते हुए तल्ख लहजे में लिखा है कि ‘मैं संन्यास लूंगा, अवश्य लूंगा मगर 2024 में। हरीश ने अपनी पोस्ट में चुनावी हार का भी उल्लेख किया है। कहा है कि मैं तो 1971-72 से चुनावी हार के लिये जिम्मेदार बन गया था।

हरीश ने लिखा कि ‘महाभारत के युद्ध में अर्जुन को जब घाव लगते थे, वो बहुत रोमांचित होते थे। राजनैतिक जीवन के प्रारंभ से ही मुझे घाव दर घाव लगे, कई-कई हारें झेली, मगर मैंने राजनीति में न निष्ठा बदली और न रण छोड़ा।

मैं आभारी हूं, उन बच्चों का जिनके माध्यम से मेरी चुनावी हारें गिनाई जा रही हैं, इनमें से कुछ योद्धा जो आरएसएस की क्लास में सीखे हुए हुनर, मुझ पर आजमा रहे हैं। वो उस समय जन्म ले रहे थे, जब मैं पहली हार झेलने के बाद फिर युद्ध के लिए कमर कस रहा था|

कुछ पुराने चकल्लस बाज हैं जो कभी चुनाव ही नहीं लड़े हैं और जिनके वार्ड से कभी कांग्रेस जीती ही नहीं, वो मुझे यह स्मरण करा रहे हैं कि मेरे नेतृत्व में कांग्रेस 70 की विधानसभा में 11 पर क्यों आ गई! ऐसे लोगों ने जितनी बार मेरी चुनावी हारों की संख्या गिनाई है, उतनी बार अपने पूर्वजों का नाम नहीं लिया है, मगर यहां भी वो चूक कर गये हैं।

1971-72 से ही चुनावी हार-जीत का जिम्मेदार बन गया था : Harish rawat

अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत व बागेश्वर में तो मैं सन् 1971-72 से चुनावी हार-जीत का जिम्मेदार बन गया था, जिला पंचायत सदस्यों से लेकर जिलापंचायत, नगर पंचायत अध्यक्ष, वार्ड मेंबरों, विधायकों के चुनाव में न जाने कितनों को लड़ाया और न जाने उनमें से कितने हार गये, ब्यौरा बहुत लंबा है|

मगर उत्तराखंड बनने के बाद सन् 2002 से लेकर सन् 2019 तक हर चुनावी युद्ध में मैं नायक की भूमिका में रहा हूं, यहां तक कि 2012 में भी मुझे पार्टी ने हैलीकाॅप्टर देकर 62 सीटों पर चुनाव अभियान में प्रमुख दायित्व सौंपा।

चुनावी हारों के अंकगणित शास्त्रियों को अपने गुरुजनों से पूछना चाहिए कि उन्होंने अपने जीवन काल में कितनों को लड़ाया और उनमें से कितने जीते? यदि अंकगणितीय खेल में उलझे रहने के बजाय आगे की ओर देखे तो समाधन निकलता दिखता है।

त्रिवेंद्र सरकार के एक काबिल मंत्री जी ने जिन्हें मैं उनके राजनैतिक आका के दुराग्रह के कारण अपना साथी नहीं बना सका, उनकी सीख मुझे अच्छी लग रही है। मैं संन्यास लूंगा, अवश्य लूंगा मगर 2024 में, देश में राहुल गांधी के नेतृत्व में संवैधानिक लोकतंत्रवादी शत्तियों की विजय और राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही यह संभव हो पायेगा, तब तक मेरे शुभचिंतक मेरे संन्यास के लिये प्रतीक्षारत रहें।

हरीश के इस रूख से सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाए शुरू हो गई है। हरीश रावत की इस पोस्ट पर जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से जवाब जाहा तो उन्होने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

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