इकोलॉजी और इकोनॉमी में समन्वय बनाकर आगे बढ़ना है : सीएम

We have to move forward by coordinating ecology and economy
भारतीय वन सेवा संघ के अधिवेशन के दौरान सीएम धामी।

We have to move forward by coordinating ecology and economy

राज्य में वन सम्पदाओं से राजस्व वृद्धि की दिशा में ध्यान दिया जाए

देहरादून। We have to move forward by coordinating ecology and economy मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को राजपुर रोड स्थित मंथन सभागार में भारतीय वन सेवा संघ, उत्तराखण्ड के वार्षिक अधिवेशन का शुभारंभ किया।

मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इस अधिवेशन में वन विभाग से संबंधित अनेक विषयों पर चर्चा होगी एवं राज्य की वन एवं पर्यावरण से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए चिंतन होगा।

उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से अधिकारियों को एक-दूसरे को समझने का मौका मिलता है, जिससे कार्य करने की गति में भी तेजी आती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2025 में उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की रजत जयंती मनायेगा। तब तक वन विभाग द्वारा राज्य के विकास के लिए क्या योगदान दिया जा सकता इसके लिए लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ना होगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमें ईकोलॉजी एवं इकोनॉमी में समन्वय बनाकर आगे बढ़ना है। विकास कार्यों के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के साथ आगे बढ़ना है। पर्यावरण संरक्षण के कार्य के साथ ही लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की वन विभाग की बड़ी जिम्मेदारी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मसूरी में आयोजित चिंतन शिविर में वन विभाग को राज्य में बंदरों एवं अन्य जंगली जानवरों से फसलों को होने वाले नुकसान को बचाने के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाने को कहा गया था। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस दिशा में विभाग द्वारा तेजी से प्रयास किये जा रहे होंगे।

राज्य में वन सम्पदाओं से राजस्व वृद्धि की दिशा में भी ध्यान दिया जाए : CM Dhami

उन्होंने कहा कि वनों के माध्यम से लोगों की आजीविका जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया जाए। मानव एवं वन्यजीव संघर्ष को कम करने, वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए आम जन से सहयोग एवं वन पंचायतों को मजबूत बनाने की दिशा में प्रभावी प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैव विविधताओं वाला प्रदेश है। राज्य में वन सम्पदाओं से राजस्व वृद्धि की दिशा में भी ध्यान दिया जाए।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखण्ड वन सम्पदाओं से सपन्न राज्य है। अपनी वन संम्पदाओं के सदुपयोग से हम लोगों की आजीविका में कैसे वृद्धि कर सकते हैं, इस दिशा में हमें निरंतर प्रयास करने होंगे। पर्यावरण संतुलन विश्व की सबसे बड़ी चिंता है।

वन विभाग को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर एवं लोगों को इसके प्रति जागरूकता में अहम भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि राज्य में वन क्षेत्र बढ़ा है, इसके लिए उन्होंने वन विभाग के प्रयासों की भी सराहना की।

उन्होंने कहा कि वनों एवं पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमें इनको लोगों की आजीविका से जोड़ना होगा। वन विभाग के इस अधिवेशन में वन विभाग द्वारा सशक्त उत्तराखण्ड की दिशा में क्या प्रयास किये जा सकते हैं, वन विभाग का राज्य के विकास के लिए रोडमैप, वानिकी क्षेत्र के माध्यम से आजीविका सृजन, मानव एवं वन्यजीव संघर्ष न्यूनीकरण, कार्बन वित्त पोषण से राजस्व एवं आय सृजन एवं राज्य से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर मंथन किया जा रहा है।

इस अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव डॉ. समीर सिन्हा, प्रमुख वन संरक्षक वन पंचायत ज्योत्सना सितलिंग, आईएफएस एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल लाल एवं भारतीय वन सेवा संघ, उत्तराखण्ड के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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