Wo mera hokar bhi mujhse – Hindi shayari
Wo mera hokar bhi mujhse – Hindi shayari
मंजिल कब थी..बस गर्दे सफर रहा
वो मेरा होकर भी..मुझसे बेखबर रहा
खुली आँखों में…सवाल तैरते तमाम
रात रातभर जागती रही,ये मरहला रहा।
बेवफाईयों के सिलसिले कुछ इस कदर
परछाइयों पर भी ना मेरा, ऐतवार रहा।
चेहरों पर नकाब देखकर,,आईना हैरान
असल अक्स तलाशता, परेशान रहा।
कत्ल का इल्जाम रकिबों पर,लगा झूठा
कातिल अपनों में कोई, खंजर गवाह रहा।
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