सूचना का अधिकार अधिनियम की 18वीं वर्षगांठ पर राजभवन में आयोजित हुई कार्यशाला

Workshop organized at Raj Bhavan on the 18th anniversary
कार्यशाला को संबोधित करते राज्यपाल।

Workshop organized at Raj Bhavan on the 18th anniversary

देहरादून। Workshop organized at Raj Bhavan on the 18th anniversary उत्तराखंड सूचना आयोग द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम की 18वीं वर्षगांठ पर राजभवन में कार्यशाला आयोजित की गई। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने इस कार्यशाला का शुभारंभ किया।

जिसमें मुख्य सूचना आयुक्त अनिल चंद्र पुनेठा सहित सूचना आयुक्तों और प्रदेश के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों व अपीलीय अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में पूर्व समन्वयक, उत्तराखंड प्रशासन अकादमी, नैनीताल डा. मंजू ढौंडियाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम की पृष्ठभूमि तथा भविष्य की चुनौतियों पर अपना व्याख्यान दिया।

मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तगणों द्वारा अधिनियम की धारा-4 के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों तथा प्रथम अपील एवं द्वितीय अपील के संबंध में परिचर्चा की।

कार्यशाला के प्रथम सत्र का शुभारंभ करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इस अधिनियम के अंतर्गत जहां लोक प्राधिकारियों की कार्य प्रणाली को जवाबदेह और पारदर्शिता बनाने में सहायता मिलती है, वहीं यह भ्रष्टाचार जैसी बुरी आदतों को रोकने में भी कारगर है।

उन्होंने कहा कि नागरिकों की शासन में भागीदारी किसी भी लोकतंत्र का मूलमंत्र है। जन सहभागिता न केवल शासन की गुणवत्ता में वृद्धि करती है बल्कि सरकार के काम काज में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ावा देती है।

राज्यपाल ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम हेतु प्रदेश के दूरस्थ जनपदों में जागरूकता बढ़ाये जाने के विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केवल मैदानी जनपदों में 90 प्रतिशत तक सूचना का अधिकार के आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सूचना प्राप्त करने में महिलाओं की भागीदारी बेहद कम है इसके लिए महिलाओं को भी जागरूक किए जाने के प्रयास किए जाने चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को सूचना की शक्ति और इसके महत्व के बारे में बताया जाना बेहद जरूरी है। प्रत्येक व्यक्ति तक इस अधिनियम की पहुंच हो आयोग इस ओर ठोस प्रयास करें।

राज्यपाल ने कहा कि लोक प्राधिकारियों को प्रत्येक स्तर पर गंभीरता से नियमानुसार कार्य करने की आवश्यकता है जिससे जनसामान्य को समय से सूचनाएं उपलब्ध हो। सूचना प्राप्त करने वाले आवेदक को सही एवं निश्चित समय में सूचनाएं उपलब्ध हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है।

राज्यपाल ने आयोग में नई तकनीकों के उपयोग पर भी जोर देने को कहा। मुख्य सूचना आयुक्त अनिल चंद पुनेठा ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए आयोग के क्रियाकलापों का संक्षिप्त विवरण दिया।

उन्होंने बताया कि कोविड काल के उपरांत अपीलोंध्शिकायतों के नोटिस जारी करने, निस्तारण में लगभग डेढ़ से दो वर्ष का जो समय लग रहा था, आयोग के सतत प्रयासों से वह अब मात्र 04 से 06 माह रह गया है।

मुख्य सूचना आयुक्त ने बताया कि अपीलोंध्शिकायतों के निस्तारण के हिसाब से वर्ष 2022-23 में आयोग द्वारा अपने गठन से अब तक का सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 4,116 सुनवाई की गई तथा 3,718 वादों का निस्तारण किया गया।

उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड सूचना आयोग की स्थापना से अब तक उत्तराखण्ड सूचना आयोग को कुल 55,088 द्वितीय अपीलध्शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिनमें से 53,661 का आयोग स्तर से निस्तारण किया गया है। इसी अवधि में प्रदेश के समस्त लोक सूचना अधिकारियों को कुल 12,13,200 सूचना अनुरोध पत्र और विभागीय अपीलीय अधिकारियों को कुल 1,18,960 प्रथम अपील प्राप्त हुई।

इस कार्यशाला में राज्य सूचना आयुक्त विवेक शर्मा, विपिन चन्द्र, अर्जुन सिंह, योगेश भट्ट, सचिव अरविन्द कुमार पाण्डेय, उपसचिव रजा अब्बास, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त जे0पी0मंमगाई, अध्यक्ष आर0टी0आई क्लब, देहरादून बी0पी0 मैठानी सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष और प्रथम अपीलीय अधिकारी उपस्थित रहे।  

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